यह अनूठा ग्रंथ एक प्रकार से त्रिवेणी के संगम समान है। कारण यह कि इसमें भी तीन अलग-अलग भागों या धाराओं का एक स्थान पर व एक आवरण में प्रस्तुतीकरण क्रिया गया है। प्रथम व मुख्य भाग हिन्दी की 1200 से अधिक कहावतों का है, जिनके साथ संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू, पारसी एवम् अरबी भाषाओं की समान या मिलती-जुलती कहा..
मुहावरों के बिना न बोलने की भाषा में जान पड़ती है, न लिखने की। "मुहावरा" शब्द का अर्थ ही अरबी भाषा में बातचीत करना या उत्तर देना है। मुहावरे भाषा को रोचक और गतिशील बनाते है और उनके बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया यह संकलन हिन्दी भाषा में प्रचल..