Menu
Your Cart

Public Affairs & Administration - Diwala Se Diwali Tak - Hardbound

Public Affairs & Administration - Diwala Se Diwali Tak - Hardbound
‘दिवाला से दीवाली तक’ भारतीय रेल के अभूतपूर्व कायाकल्प की आँखोंदेखी अंतर्कथा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है, जिसने तब परिणाम दिए जब परंपरागत नुस्खे लागू नहीं किए जा सकते थे।-मोंटेक सिंह आहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग, भारत सरकार ‘इस पुस्तक में इस तथ्य को बखूबी प्रस्तुत किया गया है कि प्रभावी नेतृत्व में भारतीय रेल जैसे महत्वपूर्ण ढाँचागत क्षेत्र ने किस तरह प्रबंधकीय समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना किया। सभी नीति निर्माताओं को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।’-जगदीश भगवती, विश्वविद्यालय प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग कोलंबिया विश्वविद्यालय ‘लेखकों ने दर्शाया है कि किस प्रकार कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कुशल और ईमानदार नौकरशाही उत्पादकता को बढ़ा सकती है।’-नारायण मूर्ति, गैर-कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्य सलाहकार, इन्फोसिस ‘गहरी समझ और ज्ञान का बोध कराती यह पुस्तक विभिन्न वर्गों के पाठकों के लिए प्रेरणादायी एवं उपयोगी होगी, विशेषकर उनके लिए जिन पर संकट से गुजर रहे संगठन के वित्तीय कायाकल्प की जिम्मेदारी है, और वह भी सामाजिक दायित्वों की अनदेखी किए बिना।’-आर.के. पचौरी, महानिदेशक, द इनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट चेयर, जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय समिति ‘भारतीय रेल ने यह साबित कर दिया है कि गहरी राजनीतिक समझ, व्यावसायिक कौशल और संचालनिक उत्कृष्टता के रचनात्मक संगम से सार्वजनिक सेवाओं का वित्तीय कायाकल्प किया जा सकता है, और वह भी बहुत कम समय में। ‘दिवाला से दीवाली तक’ पुस्तक में इस अद्भुत यात्रा का सुव्यवस्थित एवं सारगर्भित वर्णन प्रस्तुत किया गया है।’-सी.के. प्रहलाद, पॉल एवं रूथ मैक क्रैकन विशिष्ट प्रोफेसर, रास स्कूल ऑफ बिजनेस, मिशिगन विश्वविद्यालय

Public Affairs & Administration - Diwala Se Diwali Tak - Hardbound

Diwala Se Diwali Tak - Hardbound - by - Rajpal And Sons

Diwala Se Diwali Tak - Hardbound - ‘दिवाला से दीवाली तक’ भारतीय रेल के अभूतपूर्व कायाकल्प की आँखोंदेखी अंतर्कथा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है, जिसने तब परिणाम दिए जब परंपरागत नुस्खे लागू नहीं किए जा सकते थे।-मोंटेक सिंह आहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग, भारत सरकार ‘इस पुस्तक में इस तथ्य को बखूबी प्रस्तुत किया गया है कि प्रभावी नेतृत्व में भारतीय रेल जैसे महत्वपूर्ण ढाँचागत क्षेत्र ने किस तरह प्रबंधकीय समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना किया। सभी नीति निर्माताओं को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।’-जगदीश भगवती, विश्वविद्यालय प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग कोलंबिया विश्वविद्यालय ‘लेखकों ने दर्शाया है कि किस प्रकार कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कुशल और ईमानदार नौकरशाही उत्पादकता को बढ़ा सकती है।’-नारायण मूर्ति, गैर-कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्य सलाहकार, इन्फोसिस ‘गहरी समझ और ज्ञान का बोध कराती यह पुस्तक विभिन्न वर्गों के पाठकों के लिए प्रेरणादायी एवं उपयोगी होगी, विशेषकर उनके लिए जिन पर संकट से गुजर रहे संगठन के वित्तीय कायाकल्प की जिम्मेदारी है, और वह भी सामाजिक दायित्वों की अनदेखी किए बिना।’-आर.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL486
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL486
  • ISBN: 9788170287872
  • ISBN: 9788170287872
  • Total Pages: 192
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hardbound
  • Year: 2009
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00