Commentary & Opinion - Parivartan Aur Rajniti - Hardbound
‘इनकी लालित्यपूर्ण रचना शैली से आर्थिक मुद्दे सहज ही सजीव हो उठते हैं। भारत के पिछले कुछ वर्षों के कीर्तिमानों को लेकर सिंह के पास कहने को एक गौरवपूर्ण गाथा भी विद्यमान है। भारत के परिबल को बनाए रखने से संबंधित एवं उसके स्वरूप को समझने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।’- लारेस एच. समर्स, अमरीका के भूतपूर्व ट्रेज़री सेक्रेटरी और अभी कुछ समय पहले तक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ‘ये लेख भारत के बहुलतापूर्ण एवं ओजस्वी लोकतन्त्र तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में निहित जटिल आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं का एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।’-प्रो. टी.एन. श्रीनिवासन, येल विश्वविद्यालय ‘एन.के. सिंह एक विश्व स्तर के नीति विश्लेषक, युक्ति निर्माता और नीतियों-युक्तियों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने वाले व्यक्ति हैं। इन प्रतिभाओं के साथ उनके व्यापक ज्ञान और भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति निर्धारण एवं अनुपालन के विशाल अनुभव के संयोग से उन द्वारा उद्धृत विशेष प्रकरण ऐसा रूप धारण कर जाते हैं कि उनसे राज्य अर्थनीति और आर्थिक नीति निर्धारण के विषय में बहुत कुछ सीखा जा सकता है।’-ऐन ओ. क्रूगर, भूतपूर्व उप प्रबंध निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, संप्रति जान हापकिन्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर
Commentary & Opinion - Parivartan Aur Rajniti - Hardbound
Parivartan Aur Rajniti - Hardbound - by - Rajpal And Sons
Parivartan Aur Rajniti - Hardbound - ‘इनकी लालित्यपूर्ण रचना शैली से आर्थिक मुद्दे सहज ही सजीव हो उठते हैं। भारत के पिछले कुछ वर्षों के कीर्तिमानों को लेकर सिंह के पास कहने को एक गौरवपूर्ण गाथा भी विद्यमान है। भारत के परिबल को बनाए रखने से संबंधित एवं उसके स्वरूप को समझने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।’- लारेस एच.
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- Model: RAJPAL936
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL936
- ISBN: 9788170287193
- ISBN: 9788170287193
- Total Pages: 284
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hardbound
- Year: 2010
₹ 295.00
Ex Tax: ₹ 295.00