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General - Meeraji - Paperback

General - Meeraji - Paperback
इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक-माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। शृंखला की हर पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं; और साथ ही हर शायर के जीवन और लेखन पर रोचक भूमिका भी है। आज तक इस पुस्तक-माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज-ज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है। मोहम्मद सनाउल्लाह ‘सानी’ डार (25 मई 1912 - 3 नवम्बर 1949) समृद्ध कश्मीरी परिवार में जन्मे एक आज़ाद फ़ितरत के घुमक्कड़ व्यक्ति थे। उनके आज़ाद ख़यालात उनकी शायरी में भी झलकते हैं। उर्दू में आज़ाद छंद के अग्रदूत माने जाने वाले मीराजी ने शायरी में हिन्दी शब्दों का काफी प्रयोग किया। कहा जाता है कि उन्हें एक बंगाली युवती मीरा सेन से इश्क हो गया था लेकिन यह मोहब्बत एकतरफ़ा थी। अपनी महबूबा के लिए उन्होंने अपना घर-परिवार सब छोड़ दिया यहाँ तक कि अपना नाम भी मीराजी रख लिया और इसी नाम से वे उर्दू शायरी में जाने जाते हैं।

General - Meeraji - Paperback

Meeraji - Paperback - by - Rajpal And Sons

Meeraji - Paperback -

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL817
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL817
  • ISBN: 9789389373301
  • ISBN: 9789389373301
  • Total Pages: 128
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paperback
  • Year: 2020
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00