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Rajkamal Prakashan

भीष्म साहनी ने बहैसियत कथाकार पठनीयता और क़िस्सागोई की कला को इस तरह साधा था कि आलोचक जहाँ उनकी दृष्टि के वैशिष्ट्य से प्रभावित होते थे, वहीं साधारण पाठक कहानी के कहानीपन से। शहरी और क़स्बाई मध्यवर्गीय जीवन में ज़्यादा सहूलियत महसूस करनेवाली उनकी लेखनी ने ज़रूरत पड़ने पर समाज के बीभत्स और भयावह चित्र..
₹ 150.00
Ex Tax:₹ 150.00
अपने कथ्य के लिए भाषा और शिल्प की भी रचना करनेवाली लेखिका हैं सारा राय। सारा राय की यह कृति एक उपन्यास होते हुए भी अपने कथ्य के वितान में एक महाकाव्य जैसी विशिष्टता समेटे हुए है जिसमें अतीत और भविष्य साथ-साथ वर्तमान में घटित हो रहे होते हैं। यह घटित होना भारतीय सामन्तवादी ढूह पर एक लड़की यानी एक स्त्..
₹ 400.00
Ex Tax:₹ 400.00
‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ ग्रन्थमाला की यह दूसरी पुस्तक है जिसमें विश्व की एक प्राचीनतम दार्शनिक धारा का परिचय प्रस्तुत किया गया है।चीन में दर्शन की परम्परा यों तो बहुत पुरानी है, लेकिन ईसा-पूर्व की पाँचवीं से तीसरी शताब्दी का काल दार्शनिक चिन्तन की दृष्टि से समृद्धि का काल माना जाता है। कन..
₹ 150.00
Ex Tax:₹ 150.00
छैला सन्दु मुंडा समाज का एक मिथकीय पात्र है। उसके व्यक्तित्व को लेकर कई कथाएँ लोकसमाज में पाई जाती हैं। यही कारण है कि मुंडा समाज के इतिहास में छैला सन्दु का कोई लिखित उल्लेख न होने के बावजूद जन-साधारण की स्मृति में वह आज भी ज़िन्दा है।साँवला रंग, छरहरा शरीर, आकर्षक व्यक्तित्व और मानवीय गुणों से भ..
₹ 250.00
Ex Tax:₹ 250.00
मुस्लिम-समाज की संरचना, गठन, जातीय स्मृतियों, आस्था और विश्वास के कुल योग—उसकी समूची आन्तरिकता को सघन कलात्मक रचाव से प्रस्तुत करनेवाले उपन्यासों में से यदि किन्हीं दो या तीन अग्रणी रचनाओं का चुनाव किया जाएगा तो ‘छाको की वापसी’ को उस सूची में रखना ही होगा, इसके बिना वह पूरी नहीं होगी।छाको एक धुरी ..
₹ 250.00
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आधुनिक भारतीय मनीषा के अग्रणी उन्नायकों में से एक स्वामी विवेकानन्द विषयक इस पुस्तक का आधार उनके जीवन का वह समय है जो उन्होंने छत्तीसगढ़ की भूमि पर रायपुर में बिताया। उनकी ओजस्वी चेतना के जो स्फुलिंग 11 सितम्बर, 1893 को शिकागो में विस्फोटक ढंग से दुनिया के सामने आए, उनके कुछ बीज निश्चय ही किशोरावस्था..
₹ 695.00
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छत्तीसगढ़ मुक्तिबोध की परिपक्व सर्जनात्मकता का अन्तरंग है। सिर्फ़ इस अर्थ में नहीं कि यहाँ आकर उन्हें रचने और जीने की अपेक्षाकृत शान्त अवकाश मिला, बल्कि इस गहरे अर्थ में कि यहाँ आकर उन्हें आत्मसंघर्ष की वह दिशा मिली, जिस पर चलकर वे अपनी रचना में उन लोगों के संघर्ष का भी सृजनात्मक आत्मसातीकरण सम्भव क..
₹ 550.00
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बंगला-साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार सुनील गंगोपाध्याय की यह कृति उनके महत्त्वपूर्ण औपन्यासिक रचनाओं में शुमार है। इसमें दो परिवारों की कहानी समानान्तर धाराओं में चलती है। एक परिवार पूँजीपति शिवशंकर लाहिड़ी का है जिसने अपने एक सिनेमा हॉल को अपनी ज़िद के कारण बन्द कर दिया है और हड़ताली कर्मचारियों के आगे ..
₹ 125.00
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आलोचकों के विवेचन से कहीं यह स्पष्ट नहीं होता कि छायावादी स्वानुभूति संतों-भक्तों के आत्मनिवेदन से किस बात में भिन्न है; छायावादी कल्पना में प्राचीन कवियों की अप्रस्तुत-विधायिनी कल्पना से क्या विशेषता है; प्रकृति का मानवीकरण करने में छायावाद ने संस्कृत कवियों से कितनी अधिक स्वच्छंदता दिखलाई है, आदि।..
₹ 395.00
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‘छायावाद’ पुस्तक में जहाँ छायावाद की समूहगत सामान्य प्रवृत्तियों के विश्लेषण का विशेष आग्रह था, वहीं प्रस्तुत पुस्तक में प्रसाद, निराला, महादेवी और पन्त केवैशिष्ट्य और नवीन पक्षों पर विशेष दृष्टि डाली गई है। सौन्दर्य के समान महान सृजक भी विशिष्ट होते हैं।हिन्दी साहित्य ‘ग्लैक्सी’ की विभूतियाँ है..
₹ 595.00
Ex Tax:₹ 595.00
इस ग्रन्थ में सौन्दर्यशास्त्रीय अध्ययन को एक नई दिशा दी गई है। अब तक हीगेल और क्रोचे जैसे प्रमुख पाश्चात्य विचारकों से लेकर दासगुप्त, मर्ढेकर और बारलिंगे जैसे भारतीय अध्येताओं तक ने सौन्दर्यशास्त्र का जो सैद्धान्तिक निरूपण किया था, उसे अग्रसर करते हुए इस ‘प्रस्थान-ग्रन्थ’ में सौन्दर्यशास्त्र को काव्..
₹ 200.00
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नारी-विमर्श की प्रखर चिन्तक और उपन्यासकार प्रभा खेतान का यह चर्चित उपन्यास स्त्री के शोषण, उत्पीड़न और संघर्ष का जीवन्त दस्तावेज है। सम्पन्न मारवाड़ी समाज की पृष्ठभूमि में रची गई इस औपन्यासिक कृति की नायिका प्रिया परत-दर-परत स्त्री-जीवन के उन पक्षों को उघाड़ती चलती है जिनको पुरुष समाज औरत की स्वाभाविक ..
₹ 250.00
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