Classics - Kabuliwala - Paperback
सूखे मेवे बेचने वाले एक बूढ़े अफ़गानी और एक नन्ही बच्ची के बीच किस तरह किसी बाप-बेटी जैसा पवित्र प्रेम विकसित हुआ है, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी इस अनुपम कहानी में यही चित्रित किया है। इस कहानी की गिनती बच्चों के लिए लिखी गई महान पुस्तकों में की जाती है। दुनिया भर में पढ़ी और सराही गई इस महान कहानी को हिन्दी और बंगला भाषा में कई बार सिनेमा के पर्दे पर उतारा गया और हर बार दर्शक उसे देखने को उमड़ पड़े। लेखक के विषय में: रवीन्द्रनाथ टैगोर को सन् 1913 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। यह विश्वविख्यात पुरस्कार पाने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय साहित्यकार थे। आधुनिक भारत के सर्वप्रमुख रचनाकार के रूप में उनकी ख्याति निर्विवाद है। उनके रचे हुए दो गीत दो देशों में राष्ट्रगीत की मान्यता पा चुके हैं-भारत में ‘जन गण मन’ और बंगला देश में ‘आमार सोनार बांग्ला’।
Classics - Kabuliwala - Paperback
Kabuliwala - Paperback - by - Rajpal And Sons
Kabuliwala - Paperback -
- Stock: 10
- Model: RAJPAL958
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL958
- ISBN: 9789350641545
- ISBN: 9788170282266
- Total Pages: 32
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paperback
- Year: 2013
₹ 75.00
Ex Tax: ₹ 75.00