कुसुम खेमानी अपने कथा-साहित्य के लिए मनुष्य के परिष्कार से समाज-संस्कृति का परिष्कार और समाज-संस्कृति के परिष्कार से मनुष्य के परिष्कार का विधान और वितान जिस कलात्मकता से रचती हैं, वह अद्भुत ही नहीं, विलक्षण है। विलक्षण है एक पुरुष के भीतर एक स्त्री और एक स्त्री के भीतर एक पुरुष का अपने समय की विघटन..
Dear ज़िंदगी—ज़िंदगी का ऐहतराम करती मेरी पहली किताब पेश है आप सबके सामने। इसमें ज़िंदगी की दी हुई खुशियों का जश्न भी शामिल है और इसके दिए गमों की शि़कायत भी। अगर इस किताब को चंद अल़्फाज़ों में निचोड़ना हो तो शायद कुछ यों होगा—
यह चंद स़फहों की किताब है
मेरे कुछ महीनों का हिसाब है
फलस़फे ज़िंदगी के है..
दुल्हन रुख़सत होकर जा चुकी थी। मंझली खाला कोनों में मुँह छिपाकर रोती फिर रही थी। बड़े भैया बार-बार आँसू पीने की कोशिश कर रहे थे। लोगों के उठने के बाद शामियाने के नीचे सोफ़े अब ज़रा बेतरतीबी से पड़े थे। कारचोबी मसनद पर जहाँ निकाह और बाद में आरसी मुसहिफ़ हुआ था, अब बच्चे कूद रहे थे और फूलों के हार बिखरे..
इस संग्रह में संकलित रचनाओं को पढ़ते हुए लक्षित किया जा सकता है कि ये ‘ग्राम-अभ्युदय’ की कामनाओं से जुड़ी हैं। गांधी जी ने जिस आख़िरी आदमी के आशीर्वाद की कामना और जिस आदमी के लिए ‘स्वराज्य’ की बात की थी, ग्राम-अभ्युदय का सरोकार उससे था। अंग्रेज़ों ने इसी आदमी को गरिमाविहीन कर दिया था। राष्ट्रनेताओं ने ..
गत डेढ़ दशक से हाशिए के लोगों की ज़िन्दगी भारतीय साहित्य में केन्द्रीय विषय के रूप में प्रमुखता से रेखांकित हो रही है। पश्चिमी साहित्य में तो ऐसा पहले से ही था। व्यावहारिक तौर पर हाशिया और हाशिए के लोग, मुख्यधारा के पोषक, रक्षक और उसकी मान-मर्यादा-संस्कार-सौष्ठव के संरक्षक होते हैं। मुख्यधारा के लोगों..
जीवन में हर मोड़ पर हमें अनेक प्रकार की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जहाँ हर व्यक्ति के समक्ष समस्याएँ और संकट निश्चित ही आते हैं। जीवन में आए इन संकटों और समस्याओं से जब आप जूझते हैं और इनके विरुद्ध संघर्ष करते हैं तो आपका आत्मविश्वास उतना ही बढ़ जाता है। यही आत्मविश्वास आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा औ..
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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 285p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5..
अनन्या मुखर्जी के शब्दों में कहें तो ‘जब मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, मैं विश्वास नहीं कर सकी। इस ख़बर ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। लेकिन जल्द ही मैंने अपने आत्मविश्वास को समेटकर अपने को मज़बूत किया। मैं जानती थी कि सब कुछ ठीक हो जाएगा...!’लेकिन पहली बार हुआ कि वो भविष्य के अँधेरों से जीत ..
सभी की ज़िन्दगी में एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसके बिना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं लगती विराट और काव्या, एक-दूसरे से बिलकुल अलग होने के बावजूद बहुत पक्के दोस्त हैं। विराट शांत और गम्भीर स्वभाव का है जबकि काव्या हमेशा मस्ती-भरी ज़िन्दगी जीना चाहती है। दोनों दोस्तों के बीच कोई तीसरा नहीं आ सकता, यहाँ तक कि..
‘तुम यहाँ हो! मैं तो तुम्हें अंदर ढूँढ़ रही थी।’ इतने में कृतिका मुझे ढूँढ़ती बाहर चली आई।
‘यह क्या हाल बना रखा है तुमने अपना?’ और वह खिलखिलाकर हँस दी।
तभी दोनों बच्चे भी स्कूल जाने के लिए बाहर आए और कृतिका को हँसते देख वे भी मुझे देख हँसने लगे।
‘मजा आ गया आज तो?’
‘अरे पिताजी! रोज ऐसा किया करिए..
बच्चे-बड़े, विद्यार्थी-शिक्षक, स्त्री-पुरुष—सभी को कहानियाँ पसंद होती हैं। हर कहानी में पढ़नेवाला अपने आपको ढूँढ़ता है, खोजता है कि कहानी का कोई पात्र या घटना उसके जीवन से जुड़ी तो नहीं।
प्रस्तुत पुस्तक ‘वाह जिंदगी, वाह!’ ऐसी ही 333 कहानियों का संकलन है, जो आपके जीवन से जुड़ी हैं।
यह सीखों, नीति..