किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है। व्यक्तित्व का विकास हम स्वयं भी कर सकते हैं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी और विचारक लाला हरदयाल की इस युगांतकारी अमर कृति में व्यक्तित्व के विकास के सूत्र अत्यन्त सरल और रोचक भाषा-शैली में सुझाए गए हैं। एक अत्यन्त उपयोगी..
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम भारत के परिवर्तनवादी आन्दोलनों के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा। वे भारत के दलित समाज के उद्धारक तथा पुरुषार्थ के प्रतीक थे।भारतीय समाज, जो अनन्त काल से जाति, वर्ण-विभाजन के कारण हज़ारों भागों में विभक्त था, उसके स्वीकरण का जो सराहनीय प्रयास डॉ. अम्बेडकर ने किया, वह भारत..
साम्राज्यवादी शोषण और दासता के विरुद्ध उद्वेलित भारत ने जिन नौजवानों को जन्म देकर क्रान्ति की दिशा में बढ़ने को प्रेरित किया, उनमें यशपाल अत्यन्त भास्वर तेजोद्दीप्त, और इसीलिए सबसे भिन्न दिखाई पड़ते हैं। भिन्न इस अर्थ में कि अन्य क्रान्तिकारियों के निकट क्रान्ति जब ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध हिंसात्मक क..
भगवान श्रीकृष्ण सनातन, अविनाशी, सर्वलोक स्वरूप, नित्य शासक, रणधीर एवं अविचल हैं। भीष्म पितामह की इस मान्यता के बाद द्रौपदी का यह कथन, ‘हे सच्चिदानन्द-स्वरूप श्रीकृष्ण महायोगिन विश्वात्मन्, गोविन्द, कौरवों के बीच कष्ट पाती हुई मुझ शरणागत अबला की रक्षा कीजिए।’ श्रीकृष्ण के सर्वमान्य एवं सर्वव्यापी चरि..
‘प्रो. बाल आपटे : व्यक्तित्व एवं विचार’ पुस्तक के निमित्त से उनकी स्मृतियों को हृदयगत करने का सुअवसर पाकर संपादक मंडल धन्यता का अनुभव कर रहा है। दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हुए जिस रूप में हम उन्हें देख पाए, बिल्कुल उसी रूप में सभी आप्त-मित्रों ने भी उन्हें पाया है। वही अपनापन, वही निष्ठा, वही लगन सभी..
‘जन नाट्य मंच’ के संस्थापक सदस्य और सुविख्यात युवा रंगकर्मी सफ़दर हाशमी की स्मृति से जुड़ी यह पुस्तक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक अलग तरह का महत्त्व रखती है। एक ओर जहाँ इसमें सफ़दर के कुछ नुक्कड़ नाटक, नुक्कड़ नाटक सम्बन्धी कुछ आलेख, गीत, कविताएँ तथा उनसे किया गया एक साक्षात्कार शामिल हैं, वहीं ..
आन्ध्र प्रदेश के एक गाँव पुट्टापर्ती में 23 नवम्बर, 1926 को श्रीसत्य साईं ने जन्म लिया। इसके कुछ घंटों के बाद ही अगले दिन महर्षि अरविन्द ने अपनी दिव्य चेतना के बल पर घोषित किया कि दिव्य शक्ति धरती पर अवतरित हो गई है, वह समस्त मानवता का नेतृत्व करती हुई उसे विकास की उच्चतर मंज़िल तक ले जाएगी। अस्तु, ..
व्यक्ति के जविन के मुख्यत: छह पड़ाव होते हैं-शिशु बालक, किशोर, युवा, प्रौढ एवं वृद्ध । इन्हीं अवस्थाओं में व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है । व्यक्तित्व- निर्माण में अनेक अवरोध आते हैं । हर अवस्था की अपनी एक क्षमता, संभावनाएँ एवं सीमाएँ होती हैं । हर व्यक्ति की दो तसवीरें होती हैं- धवल ..
More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 174p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan..