प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत् प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्धन क..
‘आपदा’ (Disaster) एक ऐसी असामान्य घटना है, जो सीमित अवधि के लिए आती है, किंतु किसी भूभाग या देश की अर्थव्यवस्था को छिन्न-छिन्न कर देती है।
अव्यवस्थित तंत्र के बल पर आपदाओं का सामना नहीं किया जा सकता। पिछले कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के प्रयास किए जाते रहे हैं।
संप्रति आपदा प्रब..
‘बीमा प्रबन्ध एवं प्रशासन’ बीमा व्यवसाय के सफल संचालन की एकमात्र पुस्तक है। इसे गहन शोध और विस्तृत अध्ययन के बाद लिखा गया है। बीमा व्यवसाय का प्रबन्धन एवं निर्देशन कैसे किया जाए, इस पुस्तक के अध्ययन से पता लग सकता है।इस पुस्तक में सात खंड हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों के संचालन में सहायक हैं। बीमा..
प्रस्तुत पुस्तक ‘भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन’ संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा हेतु लिखी गई है। यह पुस्तक भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन से संबद्ध समस्त अवधारणाओं का निष्पक्ष व सरल भाषा में विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें संगाठित अपराध, आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर अपराध, कालाधन, मन..
करोड़ों लोगों के लिए ‘श्रीहनुमान चालीसा’ नित्य परायण का साधन है। कइयों को यह कण्ठस्थ है पर अधिकांश ने यह जानने का प्रयत्न नहीं किया होगा कि इन पंक्तियों का गूढ़ अर्थ क्या है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपना सारा साहित्य प्रभु को साक्षात् सामने रखकर लिखा है। उनका सारा सृजन एक तरह से वार्तालाप है। श्रीहनुम..
शे'र और शायरी की सबसे बड़ी ख़ूबी है, उसका ज़बान पर चढ़ जाना। किसी भी अन्य भाषा की कविता शायद ही लोगों को इस तरह याद रहती है जैसे उर्दू की ग़ज़लें और शे'र। छोटी-छोटी लयबद्ध पंक्तियों में ज़िन्दगी के रंगों को उकेर देने की ख़ासियत के चलते हर ख़ासो-आम को अलग-अलग मौक़ों पर अलग-अलग मिज़ाज का शे’र कहते बहुत ..
‘कुशल प्रबन्धन के सूत्र’ पर सुरेश कांत के दैनिक ‘अमर उजाला कारोबार’ में हर मंगलवार को प्रकाशित होनेवाले लोकप्रिय साप्ताहिक प्रबन्धन–कॉलम में छपे लेखों में से 40 चुने हुए लेखों का संकलन है। इन लेखों में हिन्दी में पहली बार प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओं पर अत्यन्त रोचक और प्रभावशाली ढंग से प्रकाश डाला गय..
विषय-सूची1. प्रशासन : अर्थ, प्रकृति एवं महत्व तथा विकसित व विकासशील समाजों में लोक प्रशासन की भूमिका —Pgs. 1-102. एक विषय के रूप में लोक प्रशासन का विकास —Pgs. 11-143. नवीन लोक प्रशासन —Pgs. 15-194. लोक प्रशासन के सिद्धांत —Pgs. 20-315. शक्ति, सत्ता, वैधता एवं उत्तरदायित्व —Pgs. 32-376. ..
प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर, दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्धन का..
गांधी का जीवन आत्म-अनुशासन, नैतिक साहस, मितव्ययिता, दूरदर्शिता, कुशल नेतृत्व, निर्णय-क्षमता तथा कर्म और विचारों के सन्तुलन का अद्भुत उदाहरण है। इस पुस्तक में पहली बार उनके इन जीवन-मूल्यों को आधुनिक प्रबन्धन-प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया गया है।प्रबन्धन को चालाकी-चतुराई की कला बताने के बजाय यह प..
प्रेम से सफलता और सफलता का सम्पन्नता से बहुत गहरा रिश्ता है। प्रेम-भाव के बिना सम्पन्नता और सफलता भी मूल्यहीन हैं। जो प्रबन्धक अपने साथियों-सहकर्मियों को प्रेमपूर्वक साथ लेकर चलते हैं, वे कभी असफल नहीं होते।‘प्रबन्ध की पाठशाला’ शीर्षक यह पुस्तक हमें कुछ ऐसे ही पाठ पढ़ाती है, जो देखने में ऐसे लगते ..