छह विभिन्न शीर्षकों में विभक्त प्रस्तुत पुस्तक ‘भारत का नव निर्माण’ सुरेश रूँगटा द्वारा समयसमय पर विभिन्न पत्रों में लिखे गए सारगर्भित लेखों का संकलन है। इन आलेखों में पिछले तीनचार वर्षों के दौरान राज्य के अलावा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए बुनियादी एवं सुधारवादी परिवर्तनों का विस्तार से ..
भारत के महापुरुषों ने देश में ही नहीं, संपूर्ण विश्व में अपने ज्ञान, साहस, संयम, वीरता और धीरता का ध्वज लहराया है। राष्ट्र-निर्माण में भारतीय मनीषियों द्वारा समाज को दिया गया विचार-दर्शन उसकी चिरस्थायी संपत्ति है। उनके विचारों को समाज के हित में जीवित रखना हमारा परम कर्तव्य है। ये दिव्य महापुरुष ईश्..
व्यक्तित्व का विकास चरित्र से होता है और चरित्र से ही मनुष्य की पहचान होती है। इसलिए चरित्र-निर्माण सबके लिए महत्त्वपूर्ण है। यह पुस्तक उपदेशात्मक न होकर व्यावहारिक है और व्यक्तित्व व चरित्र-निर्माण के लिए प्रेरणा-स्रोत के समान है। हिन्दी के यशस्वी लेखक सत्यकाम विद्यालंकार की एक अत्यंत लोकप्रिय पुस्..
एक कहावत है—
पैसा गया, तो कुछ गया; स्वास्थ्य गया, तो बहुत कुछ गया पर अगर चरित्र गया तो सबकुछ गया।
अतः आवश्यक है कि व्यक्ति
अपने चरित्र को निर्मल व स्वच्छ रखे; उसके संरक्षण-संवर्धन के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है ‘चरित्र’।
इस दृष्टि से इस प..
हिन्दी में ‘कैनन’ शब्द के लिए मान, मूल्य, प्रतिमान, मानक आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते रहे हैं, लेकिन बतौर अवधारणा ‘कैनन’ के आशय का वहन इनमें से कोई भी शब्द नहीं करता। हाँ, हिन्दी आलोचना में सैद्धान्तिक बहसों से इस अवधारणा के कुछ सूत्र अवश्य निकाले जा सकते हैं।बकौल लेखक, “मैंने पाया कि हिन्दी आलोचना ..
भारत में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, पर्यावरण-क्षति जैसी चुनौतियों से निपटने की क्या उम्मीद है? हम ऐसा राष्ट्र किस प्रकार बना सकते हैं, जो आम आदमी का जीवन स्तर सुधार सके? ऐसा राष्ट्र किस प्रकार बनाया जा सकता है, जहाँ आतंकवादी और अपराधी अपनी करतूतों को अंजाम देने के बारे में सोच भी न सकें? ऐसा राष्ट्र क..
प्रख्यात हिन्दी कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा का पहला खंड, ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’, जब 1969 में प्रकाशित हुआ तब हिन्दी साहित्य में मानो हलचल-सी मच गई। यह हलचल 1935 में प्रकाशित ‘‘मधुशाला’’ से किसी भी प्रकार कम नहीं थी। अनेक समकालीन लेखकों ने इसे हिन्दी के इतिहास की ऐसी पहली घटना बताया जब अपन..
अगले ही दिन सेठ, कलेक्टर के दर्शनार्थ बँगले पर पहुँच जाते हैं। कुछ प्रतीक्षा कराने के बाद—
कलेक्टर—“कहिए सेठजी, आपको क्या कष्ट हो गया है?”
“सर, अपना कष्ट बताने नहीं, आपका कष्ट दूर करने आया हूँ।”
कलेक्टर साहब बोले, “अच्छा-अच्छा, बताओ, मेरा कौन सा कष्ट दूर कर रहे हैं?”
“मुझे सुनने को मिला है, पिता..
आज़ादी के समय देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भावी शासन-व्यवस्था में सामन्तवाद को प्रभावी होने से बचाना था। समाज में व्याप्त सामन्तवाद के ख़िलाफ़ लड़ते रहनेवाले बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर द्वारा संविधान-निर्माण के दौरान इस चुनौती से किस तरह निपटा गया? इसका जवाब खोजने के साथ संविधान में ‘देश के नाम’, ‘राज्..
यदि कार्यस्थल पर किसी व्यक्ति के साथ आपकी तनातनी चल रही है तो तुम उस स्थिति को बदलने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल करो। जब भी उनका खयाल आपके दिमाग में आए, विशेष तौर पर उस व्यक्ति का, जिसके साथ आपको समस्या है, तो उस व्यक्ति की कमियों की बजाय खूबियों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। आपको आश्चर्य होगा कि क..