‘चलनी में अमृत’ यशपाल द्वारा अनूदित एक उपन्यास है जो 1950 के दशक में कमला पूर्नईया टेलर द्वारा ‘नेक्टर इन सीव’ नाम से अंग्रेज़ी में लिखा गया। यह लेखिका का पहला ही उपन्यास था, फिर भी इसे बेस्ट सेलर के रूप में ख्याति मिली और 1955 में अमेरिकन लाइब्रेरी एसोसिएशन ने इस उपन्यास को वर्ष की महत्त्वपूर्ण कृत..
बकौल विजयमोहन सिंह: ‘‘कहानियाँ लिखना दिनोंदिन दुष्कर होता जा रहा है। इसका एक कारण तो शायद यह है कि मनुष्य की प्रकृति क्रमशः ऐन्द्रिकता तथा संवेदनात्मकता से बौद्धिकता की ओर जाने वाली है। इस परिवर्तन में अनुभव और उम्र की भी बड़ी भूमिका प्रमुख होती है। हमारी संवेदनाएँ उम्र के साथ उतनी सरस तथा ऐन्द्रिक न..
‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ ग्रन्थमाला की यह दूसरी पुस्तक है जिसमें विश्व की एक प्राचीनतम दार्शनिक धारा का परिचय प्रस्तुत किया गया है।चीन में दर्शन की परम्परा यों तो बहुत पुरानी है, लेकिन ईसा-पूर्व की पाँचवीं से तीसरी शताब्दी का काल दार्शनिक चिन्तन की दृष्टि से समृद्धि का काल माना जाता है। कन..
छत्तीसगढ़ मुक्तिबोध की परिपक्व सर्जनात्मकता का अन्तरंग है। सिर्फ़ इस अर्थ में नहीं कि यहाँ आकर उन्हें रचने और जीने की अपेक्षाकृत शान्त अवकाश मिला, बल्कि इस गहरे अर्थ में कि यहाँ आकर उन्हें आत्मसंघर्ष की वह दिशा मिली, जिस पर चलकर वे अपनी रचना में उन लोगों के संघर्ष का भी सृजनात्मक आत्मसातीकरण सम्भव क..
बंगला-साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार सुनील गंगोपाध्याय की यह कृति उनके महत्त्वपूर्ण औपन्यासिक रचनाओं में शुमार है। इसमें दो परिवारों की कहानी समानान्तर धाराओं में चलती है। एक परिवार पूँजीपति शिवशंकर लाहिड़ी का है जिसने अपने एक सिनेमा हॉल को अपनी ज़िद के कारण बन्द कर दिया है और हड़ताली कर्मचारियों के आगे ..
‘चित्रकूट में राम-भरत मिलाप’ रामकथा के महत्त्वपूर्ण प्रसंग का नाट्यरूप में प्रणयन है।
यह घटना जहाँ भ्रातृप्रेम और त्याग का अद्वितीय आदर्श है, वहीं उससे राजधर्म के महान् सिद्धांत प्रस्फुटित हुए हैं।
वर्तमान परिवेश में लेखक ने रामायण की इस घटना को सामान्य जन तक पहुँचाने का प्रयास किया है।
एक ओर इस..
यह पुस्तक लड़कियों के मानस पर डाली जानेवाली सामाजिक छाप की जाँच करती है। वैसे तो छोटी लड़की को बच्ची कहने का चलन है, पर उसके दैनंदिन जीवन की छानबीन ही यह बता सकती है कि लड़कियों के सन्दर्भ में 'बचपन' शब्द की व्यंजनाएँ क्या हैं।कृष्ण कुमार ने इन व्यंजनाओं की टोह लेने के लिए दो परिधियाँ चुनी हैं। पहली ..
नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों व शैक्षिक नेतृत्व की सोच में व्यापक बदलाव होगा।समकालीन विषय, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, इनवायरनमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन आदि शामिल करने से शिक्षा के स्तर में काफी बढ़ोतरी होगी।..
चन्द्रकान्त देवताले की सर्जनात्मकता बहुआयामी और विविधवर्णी है। उसे पढ़ते हुए, उस पर किसी एकरैखिक सार की तरह सोचना, सम्भव ही नहीं हो पाता। ख़ासकर तब, जब पाठक उसे अपने आस्वाद और अनुभव की उत्कट निजता में पढ़ रहा हो। वह सुझाने, रिझाने या समझाने-बुझाने वाली कविता से भिन्न, अन्तरात्मिक और ऐन्द्रिक अनुभूति..
इस पुस्तक में नसरीन मुन्नी कबीर ने जावेद अख़्तर जैसे बहुआयामी रचनाधर्मी से लम्बी बातचीत की है, जिसके अन्तर्गत जावेद की प्रारम्भिक रचनाओं पर पड़े प्रभावों, उनके पारिवारिक जीवन और फ़िल्म-जगत के महत्त्वपूर्ण पक्षों को उद्घाटित किया गया है, जहाँ जावेद ने सन् ’65 के आसपास ‘कैपलर-ब्वाय’ के तौर पर अपना करिय..
भारत में सिनेमा ने हाल ही में सौ वर्ष पूरे किए हैं। सौ वर्षों की इस यात्रा में फिल्मों में नारी के प्रस्तुतीकरण और उसके समाज पर प्रभावों पर काफी कुछ लिखा और बोला गया। आलोचनाओं और प्रशंसाओं के बीच एक सत्य हमेशा मौजूद रहा कि फिल्मों की शुरुआत से ही नायिकाओं का अपने समय के नारी समाज पर गहरा प्रभाव रहा ..
सिविल सेवाएँ देश की सबसे प्रतिष्ठित और महत्त्वपूर्ण सेवाएँ हैं। पढ़े-लिखे युवाओं में इनके प्रति विशेष आकर्षण रहता है। हर युवा इस मुकाम को पाना चाहता है। डेढ़ सौ करोड़ की जनसंख्या में से प्रति वर्ष करीब एक हजार सिविल सेवक चुने जाते हैं, जिनके लिए कई लाख उम्मीदवार आवेदन करते हैं। इन आँकड़ों से इन सेव..