वरिष्ठ क़लमकार रवीन्द्र वर्मा के उपन्यास ‘आख़िरी मंज़िल’ के कवि-नायक में एक ओर ऐसी आत्मिक उत्कटता है कि वह अपने शरीर का अतिक्रमण करना चाहता है, दूसरी ओर अपनी अन्तिम आत्मिक हताशा में भी उसे आत्महत्या से बचे किसान का सपना आता है जो उसका पड़ोसी है और जिसका घर ‘ईश्वर का घर’ है। हमारे कथा-साहित्य में अक्सर..
...एक उपन्यास जो लगभग दिल्ली ही के बारे में है—पुरानी यानी सन् 47 से पहले की दिल्ली।मेरी कहानी 15 अगस्त, 1947 तक घिसटती नहीं जाती, उससे पहले ही ख़त्म हो जाती है। हाँ, यक़ीनन जो कुछ भी उसमें होना होता है, वह इस तारीख़ से पहले ही हो-हुआ चुकता है।एक व्यक्ति और उसके परिवार की कहानी जो एक ज़माने में हर..
‘मंज़िल अब भी दूर’ मुम्बई के कर्मठ साम्यवादी नेता और ट्रेड यूनियन आन्दोलन के अगुआ व्यक्तित्व—गंगाधर चिटणीस द्वारा लिखित मराठी पुस्तक ‘मंज़िल अजून दूरच!’ का स्वतंत्र हिन्दी अनुवाद है।स्व. कॉ. चिटणीस ने अपने 50-60 वर्षों के अनुभवों के आधार पर स्थिति का आकलन कर भारत के ट्रेड यूनियन आन्दोलन में एटक, मु..
इस पुस्तक में लेखक डॉ. राजीव आर. ठाकुर ने बहुत ही सरलता से रूक्च्न से संबंधित सभी बारीकियों का विवरण दिया है, जो पाठकों के लिए काफी उपयोगी होगा। नामांकन से लेकर पाठ्यक्रम की पढ़ाई-लिखाई, व्यक्तित्व निर्माण एवं प्लेसमेंट की तैयारी, व्यक्तिगत मूल्यों तक की चर्चा की है। इस पुस्तक की एक विशेषता इसमें सं..
इस पुस्तक में 67 आलेख संकलित हैं। पुस्तक में शामिल ज्यादातर आलेख स्वतंत्र हैं। विषय और संदर्भ की दृष्टि से इन आलेखों का एक-दूसरे से संबंध नहीं है। हाँ, कुछ आलेख पाकिस्तान, चीन और ईरान से संबंधित हैं। विषय व्यापकता के लिहाज से पुस्तक का फलक बहुत बड़ा है। इस पुस्तक में राजनीति, विदेश नीति, संसद्, चुना..