इस कोश में प्रयास किया गया है कि पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री ही इसमें प्रस्तुत की जाए। सर्वप्रथम भारत सरकार, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रशासनिक शब्दावली के उन बहुप्रयुक्त शब्दों के रूप दिए गए हैं जो अनुवाद, पत्रकारिता आदि क्षेत्रों के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकें। इस..
प्राच्य और पाश्चात्य सभी देशों के विख्यात साहित्यकारों की अमर रचनाओं से चुने गए सुभाषित- कालिदास, भवभूति, शेक्सपियर, मिल्टन, तिरुवल्लुवर, तुलसीदास, सूरदास, शॉपेनहावर, शेख सादी, गुरु नानक, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, वाल्तेयर, आइन्स्टाइन इत्यादि सैकंड़ों, लेखकों, चिंतकों, समाजनिर्माताओ..
एक बृहद् और प्रामाणिक हिन्दी शब्दकोश जो पाठकों के हिन्दी ज्ञान को अधिक समृद्ध बनाने में उपयोगी है। इसमें हिन्दी में प्रयोग होने वाले प्रायः सभी शब्द सम्मिलित हैं और यह प्रत्येक पुस्तकालय, विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालय, शोधकर्ता, शिक्षार्थी और विद्यार्थी के लिए उपयुक्त है। इसमें 50,000 से अधिक शब्द..
यह अनूठा ग्रंथ एक प्रकार से त्रिवेणी के संगम समान है। कारण यह कि इसमें भी तीन अलग-अलग भागों या धाराओं का एक स्थान पर व एक आवरण में प्रस्तुतीकरण क्रिया गया है। प्रथम व मुख्य भाग हिन्दी की 1200 से अधिक कहावतों का है, जिनके साथ संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू, पारसी एवम् अरबी भाषाओं की समान या मिलती-जुलती कहा..
लोकोक्तियाँ किसी समाज के अनुभव तथा उससे उपलब्ध ज्ञान का निचोड़ होती हैं। वे प्राचीनतम पुस्तकों से भी प्राचीन तथा वैविध्यपूर्ण होती है। समाज के सभी वर्गों के व्यक्ति उनसे हर समय लाभ उठा सकते है। लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य और सार्थकता का जाती है। अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया प..
मुहावरों के बिना न बोलने की भाषा में जान पड़ती है, न लिखने की। "मुहावरा" शब्द का अर्थ ही अरबी भाषा में बातचीत करना या उत्तर देना है। मुहावरे भाषा को रोचक और गतिशील बनाते है और उनके बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया यह संकलन हिन्दी भाषा में प्रचल..
अधिकतम प्रयोग होने वाले 20,000 हिन्दी के शब्द और उनके अर्थ जिस शब्द के अनेक अर्थ हैं, उसके प्रत्येक अर्थ को 1,2,3 आदि संख्या देकर अलग-अलग दिया गया है अनेक उपयोगी परिशिष्ट जिनकी निरन्तर आवश्यकता पड़ती रहती है प्रत्येक विद्यार्थी, शिक्षक, लाइब्रेरी, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय के लिए उपयोगी विश्वविख्यात कोश..
राजपाल संक्षिप्त हिन्दी शब्दकोश संक्षिप्त होते हुए भी बहुत उपयोगी है और इसमें अधिकतम प्रयोग होने वाले ऐसे हिन्दी शब्द सम्मिलित हैं जिनकी आवश्यकता प्रतिदिन के कार्यों में पड़ती रहती है। इसमें: उन सभी शब्दों का समावेश है जिनकी हिन्दी के सामान्य पाठक को प्रायः आवश्यकता होती है प्रत्येक शब्द के सरल हिन्द..
यह कोश केवल एक सन्दर्भ कोश मात्र नहीं है। यह समग्र भारत की राष्ट्रीय रागात्मक एकता का स्वयं में बृहत्तर तथा व्यापक साक्ष्य है। आप कल्पना करें, उस कालखंड की, जब भारत की समृद्धि एवं अखंडता पर विदेश हमले शुरू हुए। प्रारम्भिक स्थिति में शक, हूण, किरात, खास आभीर, यूनानी शक्तियों के भारत पर हमले हुए, जिनम..
तीन वर्षों के अथक परिश्रम के उपरांत तैयार किया गया डॉ. विजयपाल सिंह का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है–‘रीतिकालीन साहित्य कोश’। हिंदी में अद्यावधि समीक्षकों को लेकर तैयार किया गया एक दुर्लभ कोश!
प्रस्तुत कोश के अंतर्गत रीतिकालीन काव्य की प्रवृत्तियों, काव्यगत विशेषताओं पर विस्तार से विचार किया गया है।
शृंगार,..
इस कोश के लिए हमने शब्दों का चयन विभिन्न राज्यों की हिन्दी भाषा की पाठ्य-पुस्तकों से ही नहीं, सभी विषयों की पाठ्य-पुस्तकों और बाल पत्र-पत्रिकाओं से किया है। इसमें लगभग 6,000 शब्द हैं। शब्दों के अर्थ सरल हों, इसके लिए हमने अनेक विद्यालयों के बच्चों से मिलकर उनके स्तर की परिभाषाएँ करने की चेष्टा की है..
प्रस्तुत कोश कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए हिन्दी प्रदेश में निर्धारित पाँचवें दर्जे तक की सभी पाठ्य-पुस्तकें मँगवाई गईं और उनमें से शब्दों का संग्रह करवाया गया। बारम्बारता की पद्धति से तैयार की हुई शब्दावलियों को भी हस्तगत किया गया। बारम्बारता की पद्धति से तैयार की हुई शब्दावलियों को भी..