अवधी भाषा की कविता-यात्रा हज़ार वर्षों से कहीं अधिक लम्बी रही है जिसे अब तक गतिमान भाषा की महायात्रा के रूप में देखा जाना चाहिए। सभी आधुनिक आर्यभाषाओं की तरह अवधी की शुरुआत भी दसवीं शताब्दी से मानी जाती है। भाषा के लिखित रूप के साक्ष्य पर। लेकिन इस भाषा का उद्भव दसवीं सदी के कितने सैकड़े पहले हुआ, ठी..
प्रस्तुत पुस्तक में प्रसिद्ध कवि-आलोचक डॉ. विश्वनाथप्रसाद तिवारी ने आधुनिक हिन्दी कविता के तेरह प्रमुख कवियों—मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, माखनलाल चतुर्वेदी, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, हरिवंशराय बच्चन, रा..
आधुनिक हिंदी कविता में बिम्बविधान का यह नया संस्करण एक ऐसे साहित्यिक दौर में प्रकाशित हो रहा है, जब बिम्ब हिन्दी काव्यालोचन का स्वीकृत शब्द बन चुका है। परन्तु जिस समय (लगभग छठे दशक के अन्त में) यह शोधकार्य सम्पन्न हुआ था, उस समय तक हिन्दी में बिम्ब-विचार की कोई सुस्पष्ट परम्परा नहीं बन सकी थी। यह पु..
बीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली का काव्य इतना समृद्ध हो गया है कि उसे संसार के किसी भी सभ्य देश के काव्य की तुलना में रखा जा सकता है। इस युग में विभिन्न साहित्यिक वादों और आन्दोलनों का प्रचार हुआ, इस युग ने हमें प्रथम श्रेणी के अनेक महाकाव्य और खंड-काव्य दिए और इसी युग में एक ओर गीति-काव्य और दूसरी ओर म..
प्रस्तुत पुस्तक भारतेन्दु से लेकर समसामयिक कविता तक में विद्यमान नए पाठ की सम्भावना का सन्धान करते हुए उसका वस्तुनिष्ठ एवं गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें ‘भारतेन्दु का काव्यदर्शन’, ‘शलाकापुरुष महावीर प्रसाद द्विवेदी की नारी चेतना’, ‘साकेत की उर्मिला का पुनर्पाठ’, ‘गुप्त जी की कैकेयी का नूतन प..
प्रस्तुत पुस्तक ‘आधुनिक कविता-यात्रा’ में प्रमुखतः छायावाद के उदय तक का विवेचन हुआ है। छायावाद और परवर्ती काव्य के महत्त्वपूर्ण विकास-क्रमों को इस ग्रन्थ में उठाया गया है।आधुनिक हिन्दी कविता के राष्ट्रीय संस्कार परिवर्तन या विकास-क्रम का उल्लेख भी किया गया है। एकाधिकार देशभक्ति की सामान्य मानवीय व..
भारतीय जनमानस में अगर धर्म के बाद किसी भावना को बहुत साफ़ ढंग से देखा जा सकता है, तो वह कविता-प्रेम है। यही कारण है कि भारत में साहित्य की अन्य विधाओं के सापेक्ष कविता की परम्परा न सिर्फ़ बहुत लम्बी, गहरी और व्यापक रही है, बल्कि उसने भारतीय समाज के विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक युगों को वाणी भी दी है। यही..
आज की कविता’ आलोचना के नए दर खोलती है और समकालीन कविता के तज़ुर्बों को मुख़्तलिफ़ ढंग से विश्लेषित करती है। समकालीन कविता के लिए, जिस विनम्र और बाशऊर नज़रिए की ज़रूरत थी, वो यहाँ मौजूद है। पूरी किताब विनम्र लेकिन सचेत नज़रिए का प्रतिफल है। ...इस आलोचना-पुस्तक में कविता का होना, जीवन के होने जैसा है।..
पिछले पन्द्रह-बीस साल से जो माहौल बन रहा था, उससे यह ध्वनि निकल रही थी कि मध्यपूर्वी देशों को सख़्त ज़रूरत है बदलाव की, शिक्षा की और लोकतंत्र की। मगर जो बात छुपी हुई थी, इस प्रचार-बिगुल के पीछे कि वहाँ के बुद्धिजीवियों, रचनाकारों, कलाकारों और आम आदमी पर क्या गुज़र रही है और इन देशों के हाकिम महान शक..
विज्ञान कथा-कविता का सरल मतलब है विज्ञान+कथा+कविता। क्लासिक परिभाषा के अनुसार कविता के दो तत्त्व हैं—विज्ञान और कथा, यानी नैरेशन, जो भविष्योन्मुखी है। अन्य विद्वानों का मत है कि वैज्ञानिक थीम्स को काल्पनिक प्रसंगों में प्रयुक्त करनेवाली कविता विज्ञान कथा-कविता है। मुख्यधारा की कविता व्यक्तिगत जीवन ए..
कबीर के समय को, जबदी हुई मनोवृत्ति का ‘मध्य-काल’ नहीं, देशज आधुनिकता का समय बताती हुई यह चर्चित और बहु-प्रशंसित पुस्तक प्रामाणिक और विचारोत्तेजक ढंग से कबीर और उनके समय का नया आख्यान रचती है।कबीर की काव्य-संवेदना का मार्मिक विश्लेषण करते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल याद दिलाते हैं कि ‘नारी-निंदक’ कहे गए..