रत उत्सवों का देश है। किसी का जन्म हो तो उत्सव, जन्म के एक साल बाद फिर जन्मोत्सव। आजकल जन्मदिन मनाने का बड़ा चलन है। पहले दिन पाठशाला जाने पर कई परिवार अक्षरोत्सव मनाते हैं। वसंतोत्सव भी मनता है। होली, दीवाली, दशहरा की बात ही छोडि़ए। ये सारे तो बड़े-बड़े उत्सव हैं ही। इन वर्षों में इश्कोत्सव भी मनाय..
यह नियति ही हैजिसे भोगना हैसोचती हूँ हँसकर झेलूँपर जब भी ये सोचती हूँ रो पड़ती हूँभरे गले से तुम्हारा नाम लेना चाहती हूँतुम्हें कृतज्ञता के दो शब्द कहना चाहती हूँ। कितना तो हमें कहना-सुनना हैकह-सुन भी लेंगेइर्द-गिर्द के लोगों की दृष्टि में हम मौन हैंसिर्फ बरसों बाद मिले अपरिचितों..