आज तक हम अनेक बलों के बारे में सुनते आए हैं। जैसे शरीर के बल को बाहुबल कहा जाता है, बुद्धि के बल को बुद्धिबल कहा जाता है तो मन के बल को मनोबल या संकल्प शक्ति का बल कहा जाता है। इन सभी बलों को जोड़नेवाला बल ‘संपूर्ण बल’ कहलाता है। इसे आत्मन बल (आत्मबल) भी कहा जा सकता है। आत्मन बल—मन, शरीर और बुद्धि क..
भगवान विष्णु के अवतार और महाकाव्य रामायण के नायक राम के परम भक्त हनुमान हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता हैं। हनुमान वानरराज सुग्रीव के मंत्री और रामायण के प्रमुख केंद्रीय पात्र हैं। इस पुस्तक में पवन-पुत्र हनुमान और उनके पोषक पिता की रोचक कहानी है और किस प्रकार अपने बचपन में उन्होंने सूर्य को फल समझकर न..
ज्ञानिनामाग्रगण्य सकल गुणनिधान कपिप्रवर हनुमान के बारे में कौन नहीं जानता? अद्वितीय प्रतिभा और अतुलित बल के कुबेर होते हुए भी उन्होंने स्वार्थ के लिए उसका उपयोग कभी नहीं किया। साधारण मनुष्य में यदि विद्या, गुण या कौशल आदि थोड़े से गुण भी आ जाएँ, तो वह दर्प से चूर हो जाता है, परंतु हनुमान सर्वगुण-संप..
हनुमानजी के जीवन की महागाथाओं को वैसे तो शब्दों में पिरोना लगभग असंभव ही है, क्योंकि उनकी वीरता की गाथाएँ पृथ्वी से लेकर आकाश और पाताल तक—तीनों लोकों में फैली हैं। उन्होंने ‘सब संभव है’ को अपने जीवन में चरितार्थ किया। भूख लगी तो सूर्य देवता को ही फल समझ उनकी ओर छलाँग लगा दी, तब देवराज इंद्र को अपना ..
‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम’ ने कहा है—लोक पर जब कोई विपत्ति आती है तब वह त्राण पाने के लिए मेरी अभ्यर्थना करता है परन्तु जब मुझ पर कोई संकट आता है तब मैं उसके निवारणार्थ पवनपुत्र का स्मरण करता हूँ। अवतार श्रीराम का यह कथन हनुमानजी के महान व्यक्तित्व का बहुत सुन्दर प्रकाशन कर देता है। श्रीराम ..
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास काव्य-जगत् के निर्विवाद साहित्य सम्राट हैं, यह सत्य है किन्तु कवि होते हुए उनके अद्वितीय जुझारू समाजसेवी व्यक्तित्व का विस्तार से प्रकाशन हो तो उन्हें साहित्य-सम्राट जैसी ही एक और उपाधि देने में संकोच नहीं होगा। ‘रा’ और ‘म’ दो अक्षर मात्र पर ‘रामबोला’ ने बारह आर्ष ग्रन्थों क..