पुस्तक में श्रीमद्भगवद्गीता के समस्त श्लोकों का हिंदी-छंदों में रूपांतरण किया गया है। हर श्लोक के लिए एक अलग छंद की रचना की गई है। छंद की सीमित परिधि के अंदर ही मूल श्लोक का संपूर्ण अर्थ समाहित करने का प्रयास किया गया है। छंदों का अर्थ मूल श्लोकों से तनिक भी भिन्न न हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया ..
दरणीया चंपा भाटिया की इस पुस्तक की पांडुलिपि से गुजरते हुए मैंने महसूस किया कि यह एक सहज-सरल आध्यात्मिक मन का स्वाभाविक प्रस्फुटन है। न कोई बनावट, न बुनावट। चंपाजी ने आध्यात्मिक-धार्मिक आयोजनों, समागमों में जो सुना, समझा और आत्मसात् किया, उसे जस-की-तस रख दिया है। इस पुस्तक में कहीं भी पांडित्य प्रदर..
...ईशावास्योपनिषद् अपने लघु कलेवर में अर्थ का विस्तृत आकाश समेटे हुए है।...सन्तों का आश्वासन है कि गुरु कृपा से पिपीलिका भी विहंगम मार्ग की अधिकारिणी हो जाती है। ईशावास्य को प्रवचन-यात्रा के प्रतिपाद में मुझे अपने गुरु ब्रह्मीभूत स्वामी अखंडानन्द सरस्वती की कृपा के सम्बल का अनुभव होता रहा, तभी तो यह..
वर्तमान युग ज्ञान का युग है। ज्ञान अब एक मूल्यवान् संपदा बन चुका है। भारत सहित विश्व के तमाम देश बौद्धिक संपदा अधिकारों संबंधी अपने राष्ट्रीय ढाँचे को नया व अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देते जा रहे हैं, जो ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता हुआ एक सशक्त कदम है।
ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए समाज के हर व..
इस पुस्तक में ज्ञान सम्बन्धी दार्शनिक समस्याओं का एक प्रारम्भिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। ज्ञान, सत्, और मूल्य-दर्शन के प्रमुख विषय-क्षेत्र माने गए हैं और इसमें सन्देह नहीं कि इनमें ज्ञान एक आधारभूत स्थान रखता है जिसके प्रश्नों के उत्तर सत् और मूल्य सम्बन्धी प्रश्नों पर भी प्रकाश डालते हैं। दर्शन..
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त हो..
हम सभी भारतवासी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता जैसी श्रेष्ठ चिंतन-संपदा प्राप्त हुई है। हजारों वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश श्रोता-पाठक वर्ग को आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं। इस पवित्र ग्रंथ में प्रस्तुत किए गए चिंतन का विश्लेषण कर सुधीजनों हेतु उपलब्ध कराने ..
हम सभी भारतवासी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता जैसी श्रेष्ठ चिंतन-संपदा प्राप्त हुई है। हजारों वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश श्रोता-पाठक वर्ग को आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं। इस पवित्र ग्रंथ में प्रस्तुत किए गए चिंतन का विश्लेषण कर सुधीजनों हेतु उपलब्ध कराने ..
स्वामी विवेकानंद महान् स्वप्नद्रष्टा थे। अध्यात्मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी यह कहा जा सकता है कि समता के सिद्धांत का जो आधार विवेकानंद ने दिया, एक बौद्धिक आधार शायद ही ढ़ूँढ़ा जा सके।
स्वामीजी की दृष्टि में स्पष्ट हो चुका था कि भारत के अध्यात्म से पश्चिम की आत्मा को पुष्ट करन..
मानव-जाति के भाग-निर्माण में जितनी शक्तियों ने योगदान दिया है और दे रही हैं, उन सब में धर्म के रूप में प्रगट होनेवाली शक्ति से अधिक महत्त्वपूर्ण कोई नहीं है। सभी सामाजिक संगठनों के मूल में कहीं-न-कहीं यही अद्भुत शक्ति काम करती रही है तथा अब तक मानवता की विविध इकाइयों को संगठित करनेवाली सर्वश्रेष्ठ प..