‘आने वाली नस्लें तुम पर रश्क करेंगी हम-असरोजब ये ध्यान आएगा उनको, तुमने ‘फ़िराक़’ को देखा था।’‘फ़िराक़’ की शायरी इस धरती की सोंधी-सुगन्ध, नदियों की मदमाती चाल, हवाओं की नशे में डूबी मस्ती में ढूँढ़ी जा सकती है। ‘फ़िराक़’ प्रायः कहा करते थे कि कलाकार का मात्र भारतवासी होना पर्याप्त नहीं है, वरन्..