धीरज के जादू से जुबान, कान, आँख, नाक और हाथ सब असली खुशी पाने का साधन बन जाते हैं। बिना धीरज यही इंद्रियाँ रोग और विकार का कारण बन जाती हैं। जैसे...
जुबान - धीरज = साँप का जहर, गाली, बद्दुआ।
जुबान + धीरज = विकास की सीढ़ी, रिश्तों में मिठास
कान - धीरज = युद्ध का मैदान, शोर
कान + धीरज = सत्य श्रवण..