एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है।
हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप र..
प्रख्यात नेत्र विशेषज्ञ डॉ. आर.के. कपूर द्वारा रचित पुस्तक ‘आँखों की देखभाल’ में वैज्ञानिक आधार पर आँखों से संबंधित महत्त्वपूर्ण रोगों का वर्णन किया गया है। साथ ही रोजमर्रा में की जानेवाली आँखों की देखभाल से संबंधित दिशा-निर्देश देकर ऐसे रोगों से बचने के उपाय भी बताए गए हैं। यह पुस्तक देखभाल, निवारण..
भूरे लोगों के इस भारतीय समाज में स्त्री को कई अपमानजनक परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। विवाह की पहली शर्त है–उसका गोरा होना। लड़की यदि काली, कुरूप हुई तो अस्वीकार का कोड़ा लहराने लगता है। क्या काली लड़की को सपने देखने का हक़ नहीं है? इस उपन्यास की नायिका निन्नी कालापन और कुरूपता के बावजूद सपनों में निकट ..
विष्णुभट्ट गोडशे द्वारा लिखा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का एकमात्र आँखों देखा विवरण और प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार अमृतलाल नागर का उतना ही सरल और सटीक अनुवाद। पुस्तक की घटनाएं चित्रपट की तरह एक सूत्र में बंधी हुई आगे बढ़ती हैं। हर दृश्य, हर घटना का वर्णन इतना मार्मिक, रोमांचक और जीवंत है कि पाठक उसमें आक..
पिछले दिनों कमलेश्वर को पाकिस्तान जाने का अवसर मिला लेखकों के सम्मेलन में। वहाँ रहकर, छोटे-बड़े, सभी व्यक्तियों से मिलकर, पाकिस्तानी लेखकों और लेखिकाओं से खुले दिल से बातें करके, वहाँ की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को देख-भाल कर जो अनुभव उन्होंने प्राप्त किए, उन्हें अपने खास अन्दाज़ में लिखा है। पाकिस्त..
‘‘अब कभी नहीं पैदा होगा इस धरती पर ऐसा आदमी। ऐसा निर्भीक, ऐसा समतावादी, ऐसा मानवता-प्रेमी, ऐसा राम-भक्त और सबसे ऊपर ऐसा आशु-कवि जिसके मुख से दोहे और साखियां, रमैनी और उलटबांसियां झरने से निकलते जल की तरह झरती थीं-निर्बाध, निद्वन्द्व, अनायास, अप्रयास।’’..
‘देखा मैंने’ लेखक हसमुख शाह के जीवन का प्रामाणिक दस्तावेज तो है ही, साथ ही वह उनकी जीवन-दृष्टि और जीवन का अवलोकन का भी एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। महत्त्वपूर्ण इसलिए कि लेखक हसमुख शाह कदाचित् अकेले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने देश के तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यालय में उच्च पद पर कार्य करने का सौभाग्..
प्रस्तुत पुस्तक ‘देखन में छोटे लगें' 101 लघुकथाओं का संकलन है। लघुकथा हिन्दी कथा साहित्य की एक नई उपलब्धि है। यों इस विधा को नीतिकथा, प्रबोधकथा, बालकथा आदि से जोड़ा गया है, परन्तु यह हिन्दी की एक स्वायत्त विधा है। इसमें लेखिका ने अपने आँखों देखे सत्य को और भोगे हुए यथार्थ को अभिव्यक्ति दी है।इस कृत..
इस संग्रह में एक वरदान माँगा गया है—‘ज़िन्दगी का रमणीय सतरंगी बुलबुला व्यर्थ न हो, कि दरख़्तों से झाँकता रोशन सूर्य अस्त न हो, विनाश तत्त्व के झपट्टे में भी भूमि की उग्रगन्धी धूल गमकती रहे और जीने का समृद्ध कबाड़ पूरे घर-भर में जमा होता रहे।’ इन सभी सचेतन बिम्बों में जिजीविषा का स्रोत उफन-उफनकर बहता..
उन दिनों मैं John Berger की किताब ‘Ways of Seeing’ पढ़ रहा था और इस पढ़ने के दौरान ही मुझे यह विचार आया कि लेखकों, कवियों का देखना बहुत अलग है, साथ ही इस बात पर भी ध्यान गया कि शब्द और चित्र का नाता भी गहरा है तो क्यों न इसे दर्ज किया जाए। जब भी हम कोई शब्द पढ़ते हैं तो उसका एक चित्र मन में उभरता है..
हिन्दी के ज़्यादातर पत्रकारों के यात्रा-वृत्तान्त आम तौर पर रपट होते हैं। उनके केन्द्र में सिर्फ़ तथ्य और विवरण होते हैं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और सांसद हरिवंश के इन यात्रा-विवरणों में तथ्यों के साथ-साथ संवेदना और मानवीय प्रसंगों को भी बख़ूबी पिरोया गया है। इसी के चलते उनकी ये पत्रकारीय रपटें साहित्य..
सामाजिक विडम्बनाओं, विसंगतियों, आर्थिक विषमताओं से उपजी भयावह स्थितियों का संवेदनशील अवलोकन करती कहानियाँ।अन्याय, शोषण और ग़रीबी के साथ हो रहे ज़ुल्मों को रेखांकित कर ये कहानियाँ यह भी सोचने पर विवश करती हैं कि आज़ाद मुल्क में अन्तिम आदमी के लिए संविधान द्वारा किए गए वादों को कितना पूरा किया गया ह..