‘दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल क..
दिल्ली से जौनपुर यात्रा करते हुए डा. कलाम एक बार बादशाहनगर नामक छोटे-से स्थान पर चाय पीने के लिए रुके। सड़क की हालत खस्ता थी और पूछने पर पता चला कि बिजली, पानी और स्कूल की बेहद कमी है लेकिन मोबाइल से पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा के जगह-जगह विज्ञापन लगे थे तथा कंप्यूटर प्रशिक्षण और अंग्रेज़ी भाषा सिख..
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं, नीति आयोग से लेकर पंचायती राज, कृषि, आपदा क़ानून समेत सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं की विस्तृत व्याख्या इस पुस्तक में मिलेगी। सामान्य अध्ययन एवं निबन्ध सम्बन्धी टॉपिक्स के लिए उपयोगी पुस्तक। पुस्तक के लेखक बंगाल कैडर के आएएस अधिकारी रहे हैं।..
वर्तमान समय में देश की आन्तरिक सुरक्षा की रणनीति भी उतनी ही तेज़ी से बदल रही है जितनी तेज़ी से चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश की आन्तरिक सुरक्षा के समक्ष उपस्थित सभी प्रमुख चुनौतियों के कारण और समाधान को इस पुस्तक में ऐसे प्रस्तुत किया गया है जिससे एक मौलिक और अवधारणात्म..
चीन आज भारत के लिए एक बाह्य सुरक्षा संकट होने के साथ ही आतंकवाद का पोषक व गंभीर आर्थिक चुनौतियों का कारण भी बनता जा रहा है। सन् 1962 में आक्रमण करके हमारे 38,000 वर्ग किमी. क्षेत्रफल अक्साई चिन के पठार पर अधिकार कर लेने के बाद आज भी वह भारत की 90,000 वर्ग किमी. भूमि को जब चाहे अपना कहकर हमारी सीमा म..
नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों व शैक्षिक नेतृत्व की सोच में व्यापक बदलाव होगा।समकालीन विषय, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, इनवायरनमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन आदि शामिल करने से शिक्षा के स्तर में काफी बढ़ोतरी होगी।..
वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में, जब इतिहास के अंत की घोषणा की जा रही है, स्मृतियों के ध्वस का नारा उछाला जा रहा है, सामाजिक सरोकारों का विकेंद्रीकरण हो रहा है—ऐसे में यदि दलित साहित्य सीमित और संकीर्ण होता जाएगा, तो वह बाबा साहब भीमराव के आदर्शों के एकदम विपरीत होगा।
बाबा भीमराव साहित्य को तरक्की का आ..
यह पुस्तक भारतीय समाज की वर्तमान चुनौतियों पर केन्द्रित है। इन चुनौतियों की जड़ें तो अतीत में हैं परन्तु इनका प्रभाव हमारे भविष्य तक जाता है। इन समकालीन चुनौतियों का प्रसार लोकतंत्र, परम्परा, विस्मरण एवं स्मृति-निर्माण तक फैला है। ये विमर्शपरक व्याख्यान गोविन्द बल्लभ पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान, इल..
राष्ट्रीय चेतना को चुनौती—कुलदीप चंद अग्निहोत्रीभारत और भारतीयता की पहचान को खंडित करने के प्रयास मुहम्मद बिन कासिम के सिंध पर आक्रमण से ही प्रारंभ हो गए थे। सल्तनत एवं मुगल काल के शासकीय प्रयास भी इस दिशा में होते रहे। मतांतरण तो हो ही रहा था, लेकिन इस सब के बावजूद विदेशी इसलामी सत्ता भारतीय समाज ..
इस पुस्तक में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान बने धर्मनिरपेक्ष क़ानूनों का समान नागरिक संहिता के सन्दर्भ में महत्त्व; अनुच्छेद 44 पर संविधान सभा में किए गए बहस की प्रासंगिकता; सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान नागरिक संहिता के पक्ष में दिए गए निर्णयों के महत्त्व; नीति-निर्माताओं द्वारा हिन्दू क़ानून (1955) या भरण-प..
रेखा कास्तवार ने इस पुस्तक में स्त्री को केन्द्र में रखकर लिखी गई महिला और पुरुष रचनाकारों के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन किया है और इस क्रम में वे स्त्री चिन्तन से सम्बन्धित कुछ ऐसी चुनौतियों से रू-ब-रू हुई हैं, जिन्हें अध्ययन की इस पद्धति से ही समझा जा सकता है।लेखिका ने स्त्री से जुड़े कुछ मूल..