नीतिशास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी को अपना मानव जीवन सार्थक करना हो तो उसे सत्पुरुषों का सत्संग, धर्मशास्त्रों तथा सत्साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। गीता में कहा गया है कि जो महापुरुषों के श्रीमुख से कल्याणकारी बातें सुनकर उनकी उपासना-अनुसरण करते हैं, उनका जीवन सहज ही में आदर्श बन जाता है।
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— इस पुस्तक में आधुनिकता पर केन्द्रित निबन्ध संकलित हैं। एक युगद्रष्टा राष्ट्रकवि के मौलिक चिन्तन से ओतप्रोत विचारोत्तेजक ये निबन्ध आधुनिकता के महत्त्व को इस तार्किकता के साथ रेखांकित करते हैं कि पाठकों को अपने राष्ट्र के प्रति एक नई दृष्टि मिल सके।आधुनिकता की परिभाषा क्या है? धर्म, साहित्य और समा..
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Language Hindi
Format Paper Back
Pages 206p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan -Hans Prakashan
Dimensions 21 X 13 X 1..
ज्ञान मनुष्य के लिए तभी सहायक होता है, जब वह अपने साथ-साथ समाज को ऊँचा उठाने का सामर्थ्य रखता हो और ब्रह्मज्ञान की सार्थकता तब होती है जब साधक अपने-आपको इतनी ऊँचाई तक ले जाए कि वह त्रिकालज्ञ बनाकर समाज को आत्मकल्याण के मार्ग में ले जाए। ब्रह्मज्ञानी के लोक और परलोक दोनों सुन्दर और सुखद हो जाते हैं,..
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रवर्तक माने जाते हैं। खड़ी बोली हिन्दी को साहित्य के माध्यम के रूप में प्रसारित-प्रचारित करने तथा रचनात्मक स्तर पर इस्तेमाल करने के लिए, साथ ही, अपने समय की बहुसंख्य प्रतिभाओं को अपने विराट मित्रमंडली में शामिल और प्रोत्साहित करने के लिए भी, उन्हें याद..
विश्व के महापुरुषों का व्यक्तित्व और कृतित्व सर्वथा हमारे जीवन को प्रभावित कर हमें सभ्य, सुसंस्कृत, सद्भावनाओं से भरा मानवीय जीवन जीने के लिए प्रेरित करता रहा है। लेखक ने पवित्र भारत भूमि में जन्म लेनेवाली महान विभूतियों के ही नहीं, वरन् विश्व भर के महान लोगों के जीवन से जुड़े प्रेरित प्रसंगों को चुन..
छत्तीसगढ़ मुक्तिबोध की परिपक्व सर्जनात्मकता का अन्तरंग है। सिर्फ़ इस अर्थ में नहीं कि यहाँ आकर उन्हें रचने और जीने की अपेक्षाकृत शान्त अवकाश मिला, बल्कि इस गहरे अर्थ में कि यहाँ आकर उन्हें आत्मसंघर्ष की वह दिशा मिली, जिस पर चलकर वे अपनी रचना में उन लोगों के संघर्ष का भी सृजनात्मक आत्मसातीकरण सम्भव क..
‘‘हमारा परिवार बीसवीं सदी के आरम्भिक वर्षों से ही राजनीति से जुड़ा रहा है। पिताजी 1915 में गांधी जी के सम्पर्क में आए और स्वतंत्रता के संघर्ष में उन्होंने केन्द्रीय भूमिका निभाई। पिताजी के इस जुड़ाव के कारण परिवार में राजनीतिक जागरूकता का वातावरण था।’’ सुविख्यात बिड़ला परिवार के एक विशिष्ट सदस्य द्वारा..
कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी लगभग चार दशकों से नई कविता की अपनी बृहत्त्रयी अज्ञेय-शमशेर बहादुर सिंह-गजानन माधव मुक्तिबोध के बारे में विस्तार से गुनते-लिखते रहे हैं। उन्हें लगता रहा है कि हमारे समय की कविता के ये तीन दरवाज़े हैं जिनसे गुज़रने से आत्म, समय, समाज, भाषा आदि के तीन परस्पर जुड़े फिर भी स्वतंत्र ..
मध्यकाल को उसके सही परिप्रेक्ष्य में समझने-समझाने के लिए आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने जो साधना की थी, वह अभूतपूर्व है, स्वयं द्विवेदी जी के शब्द
उधार लेकर कहें तो ‘असाध्य साधन’ है। उनके कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इसी असाध्य साधन को हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं, और मध्यकालीन बोध का स्वरूप उनमें विशेष ..
इस पुस्तक में रस-निरूपण के बजाय रसदर्शन को केन्द्र में रखकर समकालीन ‘एस्थेटिक्स’ (सौन्दर्यबोध) को लोकायतिक यथार्थवादी वृत्त में बाँधने की भरसक कोशिश की गई है।वस्तुतः सातवीं-आठवीं शती में एक ओर मीमांसक, नैयायिक, तांत्रिक और वेदान्ती दार्शनिकों की त्रयणुक क्रान्ति का प्रवर्तन हुआ, तो दूसरी ओर अनुगाम..