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Literary Criticism - Kavita Ke Teen Darvaje : Agyeya, Shamsher, Muktibodh

Literary Criticism - Kavita Ke Teen Darvaje : Agyeya, Shamsher, Muktibodh
कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी लगभग चार दशकों से नई कविता की अपनी बृहत्त्रयी अज्ञेय-शमशेर बहादुर सिंह-गजानन माधव मुक्तिबोध के बारे में विस्तार से गुनते-लिखते रहे हैं। उन्हें लगता रहा है कि हमारे समय की कविता के ये तीन दरवाज़े हैं जिनसे गुज़रने से आत्म, समय, समाज, भाषा आदि के तीन परस्पर जुड़े फिर भी स्वतंत्र दृश्यों, शैलियों और दृष्टियों तक पहुँचा जा सकता है। इस त्रयी का साक्षात्कार अपने समय की जटिल बहुलता, अपार सूक्ष्मता और उनकी परस्पर सम्बद्धता के रू-ब-रू होना है।तीन बड़े कवियों पर एक कवि-आलोचक की तरह अशोक वाजपेयी ने गहराई से लगातार विचार कर अपने आलोचना-कर्म को जो फोकस दिया है, वह आज के आलोचनात्मक दृश्य में उसकी नितान्‍त समसामयिकता से आक्रान्ति का सार्थक अतिक्रमण है।'बड़ा कवि द्वार के आगे और द्वार दिखता और कई बार हमें उसे अपने आप खोलने के लिए प्रेरित करता या उकसाता है', 'शमशेर की आवाज़ अनायक की है' और 'मुक्तिबोध भाषा से नहीं अन्‍तःकरण से कविता रचते हैं' जैसी स्थापनाएँ हिन्‍दी आलोचना में विचार/संवेदना और आस्वाद के नए द्वार खोलती हैं।

Literary Criticism - Kavita Ke Teen Darvaje : Agyeya, Shamsher, Muktibodh

Kavita Ke Teen Darvaje : Agyeya, Shamsher, Muktibodh - by - Rajkamal Prakashan

Kavita Ke Teen Darvaje : Agyeya, Shamsher, Muktibodh -

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  • Stock: 2-3 Days
  • Model: RKP884
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP884
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 316P
  • Edition: 2016, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2016
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00