जिस प्रकार धनुष से निकला हुआ बाण वापस नहीं आता, उसी प्रकार मुँह से निकली बात भी वापस नहीं आती, इसलिए हमें कुछ भी बोलने से पहले सोच-समझकर बोलना चाहिए।
भाषण देना, व्याख्यान देना अपनी बात को कलात्मक और प्रभावशाली ढंग से कहने का तरीका है। इसमें अपने भावों को आत्मविश्वास के साथ नपे-तुले शब्दों में कहने..
CTET / TETs शिक्षक पात्रता परीक्षा हेतु हिन्दी भाषा विषय के लिए तैयार की गयी वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी की इस पुस्तक में परीक्षार्थियों की सुविधा हेतु 45 प्रैक्टिस और 58 साल्व्ड पेपर्स के रूप में 2800+ से अधिक वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरों का संकलन किया गया है।इसमें सभी प्रश्नों के उत्तर व्याख्या सहित दिए..
CTET/TETS शिक्षक पात्रता परीक्षा
वस्तुनिष्ठ हिन्दी भाषा 45 प्रैक्टिस सेट्स 54सॉल्ड पेपर्स
2800+ प्रश्नोत्तरों का संग्रह
CTET, UPTET, MPTET, PTET, UTET, HTET, REET, BTET, CGTET, JTET एवं अन्य सभा DSSSB, KVS, NVS, RPSC इत्यादि परीक्षाओं के लिए समान रूप से उपयोगीविषय-सूची• केन्द्रीय शिक्षक पात..
‘देह की भाषा’ सुरेश कुमार वशिष्ठ का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। गाँव और माटी से जुड़े सुरेश सामाजिक अन्तःकरण रखनेवाले कवि हैं और इसी दायरे में रिश्तों की तलाश करते हैं। वे अपनी परिस्थिति और अपनी काव्यवस्तु से प्रगीतात्मक रिश्ता बनाकर जीवन के अनुभव की अखंडता और भाव-जगत की सच्चाई को शब्दों में समेट ल..
लोक परंपरा एवं जनश्रुतियों के अनुसार इटावा एक पौराणिक जनपद है। उपनिषद् युग के ऋषियों, महाभारतकालीन कथाओं, बौद्धयुगीन स्मारकों, मुगलकालीन अवशेषों एवं ब्रिटिशकालीन प्रतीकों तथा स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं की कहानियाँ समेटे इटावा की अपनी अलग पहचान है। इटावा जिले की अन्य जिलों से जुड़ी सीमाएँ तथा उसक..
रामविलास जी ने भाषा की ऐतिहासिक विकास-प्रक्रिया को समझने के लिए प्रचलित मान्यताओं को अस्वीकार किया और अपनी एक अलग पद्धति विकसित की।वे मानते थे कि कोई भी भाषापरिवार एकान्त में विकसित नहीं होता, इसलिए उसका अध्ययन अन्य भाषापरिवारों के उद्भव और विकास से अलग नहीं होना चाहिए। वे चाहते थे कि प्राचीन लिखि..
प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी भाषा की संरचना के विविध आयामों पर प्रकाश डालती है। विभिन्न व्याकरणाचार्यों के विचारों से सहमति-असहमति प्रकट करते हुए प्रो. श्रीवास्तव ने विभिन्न लेखों में तार्किक उक्तियों द्वारा अपने पक्ष को पुष्ट किया है। उनके चिन्तन की गहराई तथा साफ़-सुथरा विवेचन सर्वत्र विद्यमान है। हिन्दी..
हिंदी के ऐतिहासिक संदर्भ में जहाँ अपभ्रंश, अवहट्ट और पुरानी हिंदी महत्त्व है वहीं उसके स्वरूप-निर्धारण में उसकी उपभाषाओं-बोलियों का, विशेष रूप से ब्रजभाषा और अवधी का, अप्रतिम महत्त्व है। हिंदी की प्रमुख बोलियों और उनके पारस्परिक संबंध पर भी विवेचन प्रस्तुत किया गया है। हिंदी भाषा के मानकीकरण की समस्..