कवि, कहानीकार तथा प्रगल्भ उपन्यासकार खानोलकर के नाटकों में दु:ख के कई रूप उभरकर आते हैं। नियति और मानव का रिश्ता क्या है? पाप–पुण्य आदि संकल्पनाओं के बारे में वे क्या सोचते हैं? यह हमें उनके नाटकों से पता चलता है। खानोलकर की कविता उनकी जीवनसखी थी। उनके सहे दु:खों का अन्धकार उनकी कविताओं में अभिव्यक्..