Menu
Your Cart

Cultural Heritage - Baqar Ganj Ke Sayyad - Paperback

Cultural Heritage - Baqar Ganj Ke Sayyad - Paperback
भारत जैसे बहुसांस्कृतिक राष्ट्र में अनेक अस्मिताएँ हैं। कौमी तराने 'सारे जहाँ से अच्छा' में इकबाल ने लिखा था- 'ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।' असग़र वजाहत ऐसे ही एक कारवाँ की तलाश में जुटे हैं जो कभी हिन्दुस्तान में आया था और यहाँ की गंगा-जमनी तहज़ीब में विलीन हो गया। बाकरगंज के सैयद इस तलाश का आख्यान है। इसे इतिहास कहें या यात्रा वर्णन? उपन्यास कहें या संस्मरण? कथा रिपोर्ताज कहें या ऐतिहासिक रिपोर्ताज? वजाहत इस अनोखी यात्रा में पाठकों को अवध के भूले-विसरे गाँवों में ले जाते हैं और रास्ता भटक न जाएँ इसके लिए इतिहास की किताबों का सहारा लेते बढ़ते हैं। इतिहास और उर्दू-फारसी के गहरे ज्ञान से यह रचना सम्भव हुई है और असग़र वजाहत इसे जिस निर्मल-पारदर्शी गद्य में पाठकों के लिए प्रस्तुत करते हैं यह बड़े कथाकार का ही कौशल है। हिन्दी में अपनी तरह की यह पहली रचना है जो इतिहास और साहित्य का सृजनात्मक मिश्रण करती है। यह मिश्रण कभी जड़ों की तलाश में भटकने की बेचैन यात्रा जैसा है तो कभी इतिहास की अनजानी-अनदेखी लहरों पर सवार होने का सुख देने वाला है। सच तो यह है कि किस्सागोई जैसी भाषा में असग़र वजाहत अनदेखे को दिखाने का दुर्लभ काम करते हैं।

Cultural Heritage - Baqar Ganj Ke Sayyad - Paperback

Baqar Ganj Ke Sayyad - Paperback - by - Rajpal And Sons

Baqar Ganj Ke Sayyad - Paperback - भारत जैसे बहुसांस्कृतिक राष्ट्र में अनेक अस्मिताएँ हैं। कौमी तराने 'सारे जहाँ से अच्छा' में इकबाल ने लिखा था- 'ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा!

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL1082
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL1082
  • ISBN: 9789350643730
  • ISBN: 9789350643730
  • Total Pages: 144
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paperback
  • Year: 2015
₹ 195.00
Ex Tax: ₹ 195.00