आगामी अतीत का कथ्य रोमांटिक ज़रूर लग सकता है, परन्तु इसमें निहित रोमांटिकता के भीतर भी जो गहरी टीस व्याप्त है, उसके सन्दर्भ ख़ास तौर से सामाजिक-आर्थिक निर्भरताओं से जुड़े हुए हैं। यानी रिश्ते भी किस तरह मूर्छित हो जाते हैं या किस तरह का रूप मानसिक मजबूरियों की वजह से ले जाते हैं, इसीलिए इस उपन्यास मे..
भीष्म साहनी की कथा-शैली से जो बात सबसे पहले ध्यान खींचती है, वह ये कि हम एक ऐसे लेखक के पाठ के साथ हैं, जो लेखक बाद में है, पहले साथ बैठा हुआ मित्र है। ऐसा मित्र जो आपको कम-से-कम चौंकाते हुए, बल्कि शायद इस बात का ध्यान रखते हुए, अपनी बात कहता है कि उसकी कोई बात अगर आपके साथ कुछ करे तो आपके व्यक्तित्..
लोकप्रिय कथा-मासिक ‘हंस’ ने विगत सदी के अन्तिम दशक में ‘औरत उत्तरकथा’ और ‘अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य’ नाम से विशेषांकों का आयोजन किया था। इस किताब की आधार सामग्री ‘अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य’ विशेषांक से ली गई है। उपरोक्त विशेषांकों की अपार लोकप्रियता और अनुपलब्धता के मद्देनज़र कुल सा..
अपने यात्रा वृत्तान्तों से हिन्दी में एक नई शुरुआत करने वाले असग़र वजाहत अपने आपको सामाजिक पर्यटक या सोशल टूरिस्ट कहते हैं। वे जिस जगह जाते हैं वहाँ का कोरा विवरण नहीं लिखते बल्कि यात्रा वृत्तान्तों के माध्यम से उन जगहों की सांस्कृतिक विविधता और जीवन के रंग दिखाने का प्रयास करते हैं जिससे पाठक उनके स..
ये वृत्तान्त किसी भी व्यक्ति के जीवन का विशद ब्योरा नहीं है; आदि से अन्त तक उसे जानने का या उसके जीवन-आवेगों में रहस्यों को किसी मनोचिकित्सक की तरह देखने का। यह सिर्फ़ ज़िन्दगी के उस हिस्से को देखने की कोशिश है जो समाज से जुड़ी है और ‘सामाजिकता’ का बहुमूल्य हिस्सा है।‘अतीत राग’ समान विचार वाले पड़..
भारतीय धर्म ग्रंथ यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि आधुनिक इतिहासकार जिन्हें भारतीय आर्य कहते हैं वे प्रथमत: हिमालय के उस पार के पर्वतीय अंचल में रहते थे। सीमित संसाधन और बढ़ते जन-घनत्व के कारण यहाँ के लोग हिमालय के इस पार आने और बसने लगे। ये लोग मुख्य रूप से दो शाखाओं में बँटकर दो भिन्न कालों में आये। एक ..