हिंदी कथा-साहित्य के सुप्रसिद्ध गांधीवादी रचनाकार श्री विष्णु प्रभाकर अपने पारिवारिक परिवेश से कहानी लिखने की ओर प्रवत्त हुए। बाल्यकाल में ही उन दिनों की प्रसिद्ध रचनाएँ उन्होंने पढ़ डाली थीं।
उनकी प्रथम कहानी नवंबर १९३१ के ‘हिंदी मिलाप’ में छपी। इसका कथानक बताते हुए वे लिखते हैं, ‘परिवार का स्वामी..
हमारा विश्व आज जिन स्थितियों से गुज़र रहा है, वे सारी स्थितियाँ केवल आर्थिक और राजनीतिक ही नहीं, वरन् सांस्कृतिक चिन्ता का विषय भी हैं। भले ही यह कहा जा रहा हो या मान लिया गया हो कि सोवियत रूस के पतन के बाद, विश्व अब द्वि-ध्रुवीय नहीं रह गया है, किन्तु अपने वर्तमान को समझने और विभिन्न भटकावों के बीच..