सुपिरिचत कथाकार स्वयं प्रकाश का यह पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। उनके पास वर्तमान भारतीय समाज—ख़ासकर मध्यवर्ग—को आर-पार देखनेवाली दृष्टि तो है ही, अर्थपूर्ण कथा-स्थितियों के चयन और भाषा के सृजनात्मक उपयोग के लिए भी वे अलग से पहचाने जाते हैं। आकस्मिक नहीं कि पाठक स्वयं उनकी कहानी में शामिल हो जाता है अथवा..