Fiction : Stories - Aayenge Achchhe Din Bhi
सुपिरिचत कथाकार स्वयं प्रकाश का यह पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। उनके पास वर्तमान भारतीय समाज—ख़ासकर मध्यवर्ग—को आर-पार देखनेवाली दृष्टि तो है ही, अर्थपूर्ण कथा-स्थितियों के चयन और भाषा के सृजनात्मक उपयोग के लिए भी वे अलग से पहचाने जाते हैं। आकस्मिक नहीं कि पाठक स्वयं उनकी कहानी में शामिल हो जाता है अथवा उनके कथा-चरित्र उससे सीधे संवाद करने लगते हैं। इस संग्रह में लेखक की ग्यारह कहानियाँ संगृहीत हैं। इनमें ‘पार्टीशन’ और ‘आलेख’ जैसी मूल्यवान कहानियाँ यदि धर्मान्धता और साम्प्रदायिक घृणा की पार्श्ववर्ती ताक़तों के अमानवीय क्रियाकलाप को उघाड़ती हैं तो ‘बेमकान’ शीर्षक कहानी हमारे जीवन-व्यवहार में जड़ीभूत सामन्ती संस्कारों पर प्रहार करती है। ‘अफ़सर की मौत’ अफ़सरशाही पर चढ़ी चिकनाई और आभिजात्य की धज्जियाँ उड़ाती है तो ‘गुमशुदा’ भी प्रायः उसी ज़मीन पर एक गहरी विडम्बना को उजागर करती है। ‘संहारकर्ता’ और ‘चोर की माँ’ नामक कहानियाँ पाठक को एक नैतिक समस्या के रूबरू ला खड़ा करती हैं। ‘नैनसी का धूड़ा’ हमारे अपने दैन्य और दुर्भाग्य की अविस्मरणीय दास्तान है और ‘अशोक और रेनु की असली कहानी’ मेल शोवानिज्म की बारीकियों पर विचार करते हुए एक सजग व्यक्ति के चेतस व्यक्ति में बदलने के आत्मसंघर्ष को रेखांकित करती है। ‘झक्की’ में वृद्धावस्था की ऊब और एकरसता की दिलचस्प आलोचना है तो ‘मरनेवाले की जगह’ रोज़गार से जुड़ी त्रासद जीवन-स्थितियों पर व्यंग्य करती है। संक्षेप में कहा जाए तो स्वयं प्रकाश की ये कहानियाँ अपने समय और समाज को जैसी रचनात्मक ईमानदारी, लोकोन्मुख दृष्टिमयता और कलात्मक सहजता से प्रस्तुत करती हैं, समकालीन हिन्दी कहानी इससे अनेक स्तरों पर समृद्ध होगी।
Fiction : Stories - Aayenge Achchhe Din Bhi
Aayenge Achchhe Din Bhi - by - Rajkamal Prakashan
Aayenge Achchhe Din Bhi -
- Stock: 2-3 Days
- Model: RKP2108
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2108
- ISBN: 8171782027
- Total Pages: 149p
- Edition: 0
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2008
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00