यह एक लम्बी कहानी है—यों तो मृत्यु की प्रतीक्षा में एक बूढ़ी स्त्री की, पर वह फैली हुई है उसकी समूची ज़िन्दगी के आर-पार, जिसे मरने के पहले अपनी अचूक जिजीविषा से वह याद करती है। उसमें घटनाएँ, बिम्ब, तस्वीरें और यादें अपने सारे ताप के साथ पुनरवतरित होते चलते हैं—नज़दीक आती मृत्यु का उसमें कोई भय नहीं है ..
हमारे दौर की राजनीति, समाज, आदमी–सब अपने भीतर से लेकर बाहर तक जाने कैसे तो जंजाल में उलझे हुए हैं, और जब उसे सुलझाने चलते हैं, उस जाल से निकलकर खुली, साफ़ जगह में आने के लिए हाथ-पाँव पटकते हैं तो सुलझते-निकलते नहीं, और उलझ जाते हैं।क्या नहीं है हमारे पास? जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब वह ..
जब एशबी के मैदान में आइवनहो बेहोश होकर गिर पड़ा था और सारी दुनिया उसका परित्याग कर चुकी थी तब रेबेका ने ही अपने पिता को राज़ी किया कि आइवनहो को अपने निवास-स्थान पर ले जाए। रेबेका ने ख़ुद अपने हाथ से उसके घावों पर पट्टियाँ बाँधीं। घर पहुँचने के बाद भी आइवनहो काफ़ी ख़ून निकल जाने के कारण देर तक बेहोश रहा..
मुनिश्री क्षमासागर हमारे समय के एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवि हैं, एक अद्वितीय कवि। यह तथ्य उनके प्रत्येक काव्य-संग्रह के साथ और पुष्ट और गहरा होता गया। मुनिश्री की कविताएँ जितना बाहर की यात्रा कराती हैं, उससे कहीं अधिक भीतर अपनी पड़ताल करती हैं। संवेदना के दायरे में आई हर वस्तु असाधारण काव्यात्मक गरि..
प्रखर पत्रकार एवं संपादक श्री एम.जे. अकबर ने इस चिंतनपरक पुस्तक में पिछले दशक पर एक व्यापक और गहरी निगाह डाली गई है, जो कि ऐसा काल था, जिसके टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर प्रतिष्ठाएँ ध्वस्त हुईं और घटनाएँ भी प्रवाह के बजाय जमावड़े के रूप में सामने आईं। भ्रष्टाचार, आतंकवाद, विलंबित न्याय, अधिकारों का उल्लंघ..
सत्ता की हिस्सेदारी के लिए कुछ तबकों के बीच ठनी वर्चस्व की लड़ाई, जिनकी तरफ देश की आम जनता बड़ी उम्मीदों से ताकती रहती है।एक बलात्कार को राजनीति की बिसात बना देने वालों की कहानी, जिनसे लोग न्याय के लिए साथ की अपेक्षा रखते हैं।धर्म, जाति, मीडिया और राजनीति के नेक्सस की एक ऐसी आपराधिक कथा जो किसी का..
प्रस्तुत पुस्तक बिहार के अपेक्षाकृत पिछड़ेपन के कारणों को जानने के लेखक की अनुसंधानात्मक चेष्टा का परिणाम है। आखिर अकूत भौतिक संपदा तथा गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत वाले इस प्रदेश की दशा इतनी चुनौतीपूर्ण क्यों रही है? और इन संदर्भों में नेतृत्व परिणाम के अध्ययन हेतु डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जो लगभग 17 वर्..