प्रख्यात हिन्दी कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा का पहला खंड, ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’, जब 1969 में प्रकाशित हुआ तब हिन्दी साहित्य में मानो हलचल-सी मच गई। यह हलचल 1935 में प्रकाशित ‘‘मधुशाला’’ से किसी भी प्रकार कम नहीं थी। अनेक समकालीन लेखकों ने इसे हिन्दी के इतिहास की ऐसी पहली घटना बताया जब अपन..
एक महिला ने कहा, “आप भी बहनजी, बेकार परेशान हो रही हैं। अरे, इस लड़की को इलाज के लिए अगर मेंटल हॉस्पिटल में भेज देंगे तो इनके घर का सारा काम कौन सँभालेगा? इस लड़की की माँ को आप नहीं देख रही हैं, कैसा नाटक बनाकर रो रही है! दिन भर बीमार बनी पलंग पर पड़ी रहती है। यही लड़की उसकी तीमारदारी में भी लगी रहत..
विश्व के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में एक जे.आर.डी. टाटा नागरिक उड्डयन से लेकर परमाणु ऊर्जा तक की भारतीय प्रगति में अग्रणी भूमिका निभानेवाले और भारत को इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर एवं संपन्न बनानेवाले महान् व्यक्तित्व थे। वे लगभग चार दशकों तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के चेयरमैन रहे और इस्पात..
‘श्रीरामचरितमानस’ लीलान्वयी काव्य है। इनकी मान्यताएँ वाल्मीकि रामायण से न जुड़कर भागवत पुराण से जुड़ती हैं। वाल्मीकि अपनी ‘रामायण’ के ‘लंकाकांड’ में ‘रावण वध’ की समापन कथा कहते हैं, किन्तु तुलसीकृत मानस का ‘लंकाकांड’ रावण का मुक्ति का आख्यान है।प्रभु के प्रति द्वेष भी भक्ति ही है और उस अमर्ष भाव मे..
तुलसी कृत सुन्दरकांड के कथा नायक हनुमान हैं, परन्तु वह लगते नहीं। कवि सुन्दरकांड के माध्यम से श्रीराम के माहात्म्य, उनके प्रति भक्ति तथा प्रपत्ति एवं शरणागति भाव को व्यंजित करना चाहता है। इस दृष्टि से, सुन्दरकांड में आए हनुमान, सीता, रावण एवं विभीषण के चरित्रों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो विभीषण का ..