‘संदेश-रासक’, रासक काव्यरूप की विशेषताओं से संयुक्त तीन प्रक्रमों में विभाजित दो सौ तेईस छन्दों का एक छोटा-सा विरह काव्य है, जिसमें कथावस्तु का कोई विशेष महत्त्व नहीं है। विरहिणी नायिका का पथिक के द्वारा अपने प्रिय के पास सन्देश भेजना भारतीय साहित्य में अति प्रचलित काव्य-रूढ़ि है। किन्तु ‘संदेश-रासक..
आन्ध्र प्रदेश के एक गाँव पुट्टापर्ती में 23 नवम्बर, 1926 को श्रीसत्य साईं ने जन्म लिया। इसके कुछ घंटों के बाद ही अगले दिन महर्षि अरविन्द ने अपनी दिव्य चेतना के बल पर घोषित किया कि दिव्य शक्ति धरती पर अवतरित हो गई है, वह समस्त मानवता का नेतृत्व करती हुई उसे विकास की उच्चतर मंज़िल तक ले जाएगी। अस्तु, ..
भारतीय दर्शन में उपनिषदों के चिन्तन की गहरी छाप है। उपनिषदें मानव जीवन के सभी आधारभूत विषयों को अपने विचार का विषय बनाती हैं। विश्वविख्यात दार्शनिक डा. राधाकृष्णन ने अपनी पुस्तकों में भारतीय दर्शन के विविध पक्षों का मानक विवेचन प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक में उन्होंने सभी प्रमुख अठारह उपनिषदों (ईश, ..