मूल हिन्दी में प्रकाशन के समय से ‘आवारा मसीहा’ तथा उसके लेखक विष्णु प्रभाकर न केवल अनेक पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित किए जा चुके हैं, अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद प्रकाशित हो चुका है और हो रहा है। ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ तथा ‘पाब्लो नेरूदा सम्मान’ के अतिरिक्त बंग साहित्य सम्मेलन तथा कलकत्त..
बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने सदियों से सभी तरह के अधिकार एवं सुविधा से वंचित जनसमूहों में यदि चेतना का संचार किया और उन्हें शिक्षित, संगठित होकर संघर्ष करने का मार्ग बताया तो यह उनका दलित-प्रेम नहीं; बल्कि सभी मूल, कुल, वंश, जाति, गोत्र, नस्ल, सम्प्रदाय, वर्ग, वर्ण के अधिकार-वंचितों की सच्ची सेवा का दु..
आवारा मसीहा हिंदी की सबसे प्रसिद्ध जीवनियों में अग्रगण्य है। विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखी गई शरतचंद्र की इस जीवनी पर कथा और कथेतर साहित्य के विद्वान विशेषज्ञों ने अपने आलेखों में इसके विभिन्न आयामों की मीमांसा की है। विद्यार्थियों, शोधार्थियों और कथेतर विधाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए आवश्यक यह प..
ख़लील जिब्रान की यह बैस्ट सैलर पुस्तक एक विश्वस्तरीय गौरव-ग्रंथ है और हर काल में इसे सम्मानपूर्ण कृति का स्थान मिला है। बीसवीं सदी में, 'बाइबिल' के अतिरिक्त किसी और किताब की इतनी प्रतियां नहीं बिकी हैं जितनी इसकी बिकी हैं। ख़लील जिब्रान (1883-1931) लेबनान में जन्मे, किन्तु उन्होंने अपने जीवन का बड़ा ..
आधुनिक समाज के हाशियों की उपेक्षित उदासियों का अन्वेषण करनेवाले भगवानदास मोरवाल ने इस उपन्यास में मुख्यधारा की ख़बर ली है। वह मुख्यधारा जो क़िस्म-क़िस्म की अमानवीय और असामाजिक गतिविधियों से उस ढाँचे का निर्माण करती है जिसे हम समाज के रूप में देखते-जानते हैं।उपन्यास का विषय ग़ैर-सरकारी संगठनों की..