दूरवर्ती लोगों तक अपने विचार पहुँचाने का सबसे सुगम, सबसे सस्ता और सबसे पुराना साधन है पत्र-व्यवहार। सुगमता तथा सस्तेपन के अतिरिक्त पत्र-व्यवहार मेुं एक विशेषता यह भी है कि इसके द्वारा मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार—संक्षेप या विस्तार से —अपने विचार प्रकट कर सकता है। साथ ही यह विचार-प्रकटन अपेक्षाकृत व्..
माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी क़लम चलाई थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमा..
यह पुस्तक लेखक की फिल्मी दुनिया, यानी मुंबई में रहकर जीना सीखने का लिखित दस्तावेज है, जिनका कई फिल्मी हस्तियों से संपर्क रहा। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे के साथ-साथ फिल्म आर्कइव, फिल्म से जुड़ी लाइब्रेरी, फिल्म लेखक, गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर, चरित्र अभिनेता, कैमरामैन, स्क्रिप्ट रा..
व्यंग्य क्या है? उसका हास्य से क्या सम्बन्ध है? वह एक स्वतंत्र विधा है या समस्त विधाओं में व्याप्त रहनेवाली भावना या रस? वह मूलतः गद्यात्मक क्यों है, पद्यात्मक क्यों नहीं? वह बैठे-ठाले क़िस्म की चीज़ है या एक गम्भीर वैचारिक कर्म? क्या व्यंग्यकार के लिए प्रतिबद्धता अनिवार्य है? यह प्रतिबद्धता क्या ची..
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य-लेखन की रामकथा के वाल्मीकि हैं, कोई भी साहित्येतिहासकार उनकी उपेक्षा नहीं कर सकता। यह कहना अनुचित न होगा कि आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल की जैसी रंगारंग और जीवित पारदर्शियाँ हमें उनके इतिहास में मिलती हैं, वैसी आधुनिक साहित्य के बारे में नहीं मिलती हैं। इस दृष्टि..
-लेखन में बीसवीं सदी से आज तक का समय यदि एक प्रस्थान-बिन्दु के रूप में लिया जाए तो यह स्पष्ट है कि इन सौ वर्षों में स्त्रियों की लेखनी में सबसे अधिक परिवर्तन की प्रक्रिया दिखी। पुरुष-लेखन में मात्र एक पात्र होने की भूमिका से निकलकर स्त्री-लेखक ने स्वयं अपनी क़लम से अस्तित्व, व्यक्तित्व और विचार को अभ..
फ़िल्मों और टी.वी. के सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम, धारावाहिक के लिए पटकथा अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त डाक्यूड्रामा और डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों के लिए भी दृश्य-श्रव्य केन्द्रित लेखन आवश्यक है।फ़िल्म और टेलीविज़न के व्यापक होते क्षेत्र में शिक्षापरक/ज्ञानपरक मल्टीमीडिया कार्यक्रम भी आकर जुड़ गए हैं। ज्ञान..
इस पुस्तक की रचना का मुख्य उद्देश्य रहा है कि विद्यार्थियों को परंपरागत और नवीन भाषा-अध्ययन के सिद्धांतों को समन्वित और सरल रूप से अध्ययन का अवसर दिया जाए । पुस्तक से ध्वनि, शब्द ऐसी प्रारंभिक भाषाई इकाइयों के साथ व्याकरणिक कोटियों की सरल प्रस्तुति है । हिंदी कम्पूटरिंग आज की आवश्यकता है । इस विषय क..
इस पुस्तक के उद्देश्य और स्वरूप को लेकर लेखकीय टिप्पणी इस प्रकार है—“प्रशासनिक, व्यावसायिक एवं कार्यालयी स्तर पर हिन्दी प्रयोग के प्रयास विभिन्न स्तरों पर किए जा रहे हैं, किन्तु उनमें विभिन्न कारणों से एकरूपता और एकसूत्रता का अभाव है। प्रस्तुत पुस्तक में इन अभावों के आधारभूत कारणों को तलाशते हुए, प्..