Communication And Media Studies - Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa
माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी क़लम चलाई थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमारी परम्परा में हमेशा रहा है। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल पत्रकारिता और साहित्य को दो अलग-अलग खाँचों में बाँटा जाता है। इस विभाजक रेखा को भी लाँघनेवाली विधाएँ हैं। उनमें से कुछ हैं—फ़ीचर, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तान्त एवं संस्मरण।इस पुस्तक के ज़रिए फ़ीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है कि इससे पाठक साहित्य और पत्रकारिता की विभाजक रेखा को जोड़कर इन दोनों के सम्मिश्रण को नए सिरे से स्थापित कर सकेंगे। फ़ीचर लेखन जितनी अधिक मात्रा में होगा, उतनी ही मात्रा में साहित्य और पत्रकारिता को जनमानस में भी जुड़ा हुआ देखने की प्रवृत्ति विकसित होगी।डॉ. मनोहर प्रभाकर ने, जो स्वयं उच्च कोटि के फ़ीचर लेखक रहे हैं और जिन्होंने ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘नवज्योति’ एवं अन्य समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपने लेखन कौशल को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है, इस पुस्तक में अपने अनुभवों का सार इस ढंग से प्रस्तुत किया है कि उसे सरलता से व्यवहार में लाया जा सके।
Communication And Media Studies - Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa
Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa - by - Radhakrishna Prakashan
Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa - माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी क़लम चलाई थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमारी परम्परा में हमेशा रहा है। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल पत्रकारिता और साहित्य को दो अलग-अलग खाँचों में बाँटा जाता है। इस विभाजक रेखा को भी लाँघनेवाली विधाएँ हैं। उनमें से कुछ हैं—फ़ीचर, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तान्त एवं संस्मरण।इस पुस्तक के ज़रिए फ़ीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है कि इससे पाठक साहित्य और पत्रकारिता की विभाजक रेखा को जोड़कर इन दोनों के सम्मिश्रण को नए सिरे से स्थापित कर सकेंगे। फ़ीचर लेखन जितनी अधिक मात्रा में होगा, उतनी ही मात्रा में साहित्य और पत्रकारिता को जनमानस में भी जुड़ा हुआ देखने की प्रवृत्ति विकसित होगी।डॉ.
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- Model: RKP2899
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2899
- ISBN: 0
- Total Pages: 124p
- Edition: 2005, Ed. 3rd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 1992
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00