एक सवाल जो मुझसे बार-बार पूछा गया ‘किताब में या है?’ जैसे फिशन है या नॉन फिशन है, कहानी है, व्यंग्य है? एक शद में कहूँ तो किताब ‘रोचक’ है। नदी की तरह सभी को समेटकर बहती है। इसमें व्यंग्यात्मक कहानियों के जरिए गंदगी के महारथियों का परिचय कराया गया है। ये महारथी हमारे आसपास हैं, कुछ के अंश हमारे अंदर ..
एक सवाल जो मुझसे बार-बार पूछा गया ‘किताब में या है?’ जैसे फिशन है या नॉन फिशन है, कहानी है, व्यंग्य है? एक शद में कहूँ तो किताब ‘रोचक’ है। नदी की तरह सभी को समेटकर बहती है। इसमें व्यंग्यात्मक कहानियों के जरिए गंदगी के महारथियों का परिचय कराया गया है। ये महारथी हमारे आसपास हैं, कुछ के अंश हमारे अंदर ..
कुन्दन यादव की इन कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सनें। कुन्दन को बनारस की ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। इरादा सुनाने का ही है, लिखे को खामखाह चमकाने या सजाने का नहीं।
ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ..
श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का पहला काव्य-संग्रह ‘समर्पण’ सन् 1983 में प्रकाशित हुआ था। अब तक उनकी कविता, कहानी, उपन्यास, पर्यटन, व्यक्तित्व विकास विषयक कुछ 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
श्री ‘निशंक’ के साहित्य पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक 10 शोध एवं 12 लघुशोध कार्य हो चुक..
एक लेखक की दुनिया केवल कविता-कहानी या विधा के दायरे में कैद नहीं होती। लेखक अपने समय का सिपाही है तो समय को पहचानने के सारे उपाय उसे तलाशने होते हैं। असग़र वजाहत ऐसे लेखक हैं जो मानते हैं कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए साहित्य की भूमिका होती है। इसके लिए वे कहानी-उपन्यास और नाटक तक ही नहीं ठहर जाते..