बाबू गुलाबरायजी के संबंध में कुछ साहित्यकारों के विचार स्मृति ग्रंथ से—
सहज मानव और महान्ï साहित्यि
बाबूजी अधीतमाध्यपित मर्जित यश: के मूर्तिमान् रूप थे। उनके स्नेह, वैदुष्य और सहृदयता ने अनेक कृती व्यक्तित्वों को गौरवशाली बनाया है। उनको गुरु और गुरुतुल्य माननेवालों की संख्या बहुत अधिक है। उन्होंने..
प्रसन्न बाबा ने रघु के लाए दूध के बरतन को देवी के सामने रख दिया। बोले, ‘‘माँ, अपने एक भक्त की लाई हुई भेंट ग्रहण करो। आज इसी से हम तुम्हारी पूजा प्रारंभ कर रहे हैं।’’ बनवारी दौड़कर कुछ फूल तोड़ लाया। प्रसन्न बाबा ने उसे देवी के चरणों में चढ़ा दिया। पूजा के बाद प्रसन्न बाबा ने वही दूध प्रसाद के रूप म..
उमराव जान ‘अदा’ उर्दू के आरम्भिक उपन्यासों में अहम स्थान रखता है। वस्तुतः यह आत्मकथात्मक उपन्यास है जिसे मिर्ज़ा हादी ‘रुस्वा’ ने क़लमबन्द किया है। शायर होने के नाते लेखक तवायफ़-शायर उमराव जान ‘अदा’ को काफ़ी क़रीब से जनता था। उमराव ने अपने संस्मरण स्वयं मिर्ज़ा को सुनाए थे।फ़ैज़ाबाद की बच्ची ‘अमीरन..