India & South Asia - Gandhi Ke Brahmacharya Prayog - Hardbound
‘‘गाँधी काम-भावना की दुर्दम्य शक्ति से जीवनपर्यंत आक्रान्त रहे। उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत, अर्थात पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध का त्याग सन् 1906 में ही ले लिया था। पर वे स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के आकर्षण से कभी मुक्त नहीं हो सके। जिसे गाँधीजी ने जीवन के उत्तरार्ध में ‘ब्रह्मचर्य प्रयोग’ कहा, उसके गम्भीर अध्ययन के बाद वह मोह और आकर्षण ही लगता है। स्वयं गाँधीजी ने अपनी आत्मकथा लिखने में तथा उस के बारह वर्ष बाद भी स्वीकार किया है कि वे ‘इन्द्रिय नियन्त्रण’ रखने में कठिनाई महसूस करते हैं। अर्थात् 57 और 69 वर्ष की आयु में भी उनका ब्रह्मचर्य एक सचेत प्रयत्न था, सहजावस्था नहीं। गाँधीजी ने यह छिपाया नहीं, यह उनकी महानता थी। किन्तु उन प्रयोगों में कोई महानता नहीं थी।’’ गाँधीजी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग क्या थे? ऐसे प्रयोगों के पीछे गाँधीजी की क्या धारणा थी? कारण क्या थे, ऐसे प्रयोग करने के? और इन प्रयोगों की गाँधीजी के जीवन में क्या अहमियत थी? ऐसे ही कुछ असहज सवालों पर यह पुस्तक प्रकाश डालती है। गंभीर अध्ययन के बाद लिखी यह पुस्तक प्रामाणिक उद्धरणों पर आधारित है और लेखक का कहना है कि ‘‘यह एक प्रयास है ताकि हम प्रत्येक विषय पर पूर्वाग्रहरहित होकर जानकारी प्राप्त करने तथा सोचने-विचारने के प्रति सचेत हों।’’
India & South Asia - Gandhi Ke Brahmacharya Prayog - Hardbound
Gandhi Ke Brahmacharya Prayog - Hardbound - by - Rajpal And Sons
Gandhi Ke Brahmacharya Prayog - Hardbound - ‘‘गाँधी काम-भावना की दुर्दम्य शक्ति से जीवनपर्यंत आक्रान्त रहे। उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत, अर्थात पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध का त्याग सन् 1906 में ही ले लिया था। पर वे स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के आकर्षण से कभी मुक्त नहीं हो सके। जिसे गाँधीजी ने जीवन के उत्तरार्ध में ‘ब्रह्मचर्य प्रयोग’ कहा, उसके गम्भीर अध्ययन के बाद वह मोह और आकर्षण ही लगता है। स्वयं गाँधीजी ने अपनी आत्मकथा लिखने में तथा उस के बारह वर्ष बाद भी स्वीकार किया है कि वे ‘इन्द्रिय नियन्त्रण’ रखने में कठिनाई महसूस करते हैं। अर्थात् 57 और 69 वर्ष की आयु में भी उनका ब्रह्मचर्य एक सचेत प्रयत्न था, सहजावस्था नहीं। गाँधीजी ने यह छिपाया नहीं, यह उनकी महानता थी। किन्तु उन प्रयोगों में कोई महानता नहीं थी।’’ गाँधीजी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग क्या थे?
- Stock: 10
- Model: RAJPAL863
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL863
- ISBN: 9789350640814
- ISBN: 9789350640814
- Total Pages: 156
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hardbound
- Year: 2013
₹ 375.00
Ex Tax: ₹ 375.00