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भक्ति साहित्य - Vidhyarthiyon Ke Liye Gita

भक्ति साहित्य - Vidhyarthiyon Ke Liye Gita
‘गीता’ कालजयी गं्रथ है। यह भक्ति के साथ-साथ कर्म की ओर प्रवृत्त करती है। अपने कर्तव्य-पथ से भटक रहे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर ही कर्म-पथ पर प्रवृत्त किया। इसलिए हमारे जीवन में गीता का बहुत व्यावहारिक उपयोग है, महती योगदान है। विद्यार्थी काल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी। आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी। अपने-पराए और मित्र-शत्रु के मोह से मुक्त होने का ज्ञान हो जाएगा। अधिकांश लोग सेवानिवृत्त होकर गीता पढ़ते हैं। जब सारा जीवन मोह, लोभ, काम, क्रोध और अहंकार की भेंट चढ़ गया, दुःख और संतापों का ताप सह लिया, तिल-तिल कर मरते रहे, फिर गीता पढ़ी तो क्या लाभ हुआ? पाप और पुण्य कर्मों का फल तो भोगना निश्चित ही हो गया! इस पुस्तक को विशेष रूप से छात्रों-विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। गीता के हर अध्याय में जो महत्त्वपूर्ण श्लोक हैं, जिन्हें स्मरण किया जा सके, गाया जा सके, उन्हें संकलित किया गया है। स्पष्ट है कि यह संपूर्ण गीता नहीं है, बल्कि मात्र प्रेरणा है। इसे पढ़कर छात्र सन्मति पाएँ, नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँचें, यही इस पुस्तक के लेखन का उद्देश्य है।  विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण तथा  कर्तव्य-पथ पर सतत चलने की प्रेरणा देनेवाली एक अनुपम पुस्तक।अनुक्रमअपनी बात —Pgs. 5श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि —Pgs. 7अध्याय-1 युद्धक्षेत्र में दु:खी अर्जुन —Pgs. 13अध्याय-2 आत्मा का ज्ञान —Pgs. 19अध्याय-3 कर्म का मर्म —Pgs. 27अध्याय-4 संसार के ज्ञान से अलग है दिव्य ज्ञान —Pgs. 34अध्याय-5 कर्म से शांति और आनंद-प्राप्ति —Pgs. 42अध्याय-6 ध्यान कैसे करें? —Pgs. 49अध्याय-7 भगवद् ज्ञान का विज्ञान —Pgs. 57अध्याय-8 भगवद्-प्राप्ति का साधन —Pgs. 64अध्याय-9 राज विद्या का रहस्य —Pgs. 70अध्याय-10 श्री भगवान् का ऐश्वर्य जानो —Pgs. 76अध्याय-11 भगवान् का विराट् रूप में दर्शन —Pgs. 83अध्याय-12 भति से भगवान् मिलते हैं —Pgs. 88अध्याय-13 क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ कौन है? —Pgs. 95अध्याय-14 तीन गुणों से बनी हुई सृष्टि —Pgs. 101अध्याय-15 श्रीकृष्ण भगवान् ही पुरुषोत्तम हैं  —Pgs. 107अध्याय-16 दैवी और दानवी संपत्ति का विभाजन —Pgs. 115अध्याय-17 तीन प्रकार की श्रद्धा कौन सी है? —Pgs. 122अध्याय-18 संन्यासयोग से मोक्ष प्राप्ति —Pgs. 129

भक्ति साहित्य - Vidhyarthiyon Ke Liye Gita

Vidhyarthiyon Ke Liye Gita - by - Prabhat Prakashan

Vidhyarthiyon Ke Liye Gita - ‘गीता’ कालजयी गं्रथ है। यह भक्ति के साथ-साथ कर्म की ओर प्रवृत्त करती है। अपने कर्तव्य-पथ से भटक रहे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर ही कर्म-पथ पर प्रवृत्त किया। इसलिए हमारे जीवन में गीता का बहुत व्यावहारिक उपयोग है, महती योगदान है। विद्यार्थी काल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी। आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी। अपने-पराए और मित्र-शत्रु के मोह से मुक्त होने का ज्ञान हो जाएगा। अधिकांश लोग सेवानिवृत्त होकर गीता पढ़ते हैं। जब सारा जीवन मोह, लोभ, काम, क्रोध और अहंकार की भेंट चढ़ गया, दुःख और संतापों का ताप सह लिया, तिल-तिल कर मरते रहे, फिर गीता पढ़ी तो क्या लाभ हुआ?

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  • Stock: 10
  • Model: PP1861
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1861
  • ISBN: 9789384344597
  • ISBN: 9789384344597
  • Total Pages: 144
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00