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भक्ति साहित्य - Bharatiya Sanskritik Moolya

भक्ति साहित्य - Bharatiya Sanskritik Moolya
भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है। समृद्ध कला, कौशल और तकनीक के बल पर विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में भारत की भागीदारी 25-30 प्रतिशत तक थी। लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई शताब्दियों तक इसे लगातार लूटे जाने और विदेशी शासन के कारण भारत का वैभव बीते दिनों की बात बनकर रह गया। उत्पीड़ित और असहाय जन-समुदाय ने इस आपदा से मुक्ति के लिए भगवान् की शरण ली। दो सौ वर्ष के अंग्रेजी राज में पश्चिम का बुद्धिजीवी वर्ग यह प्रचारित करने लगा कि भारतीय समाज केवल परलोक की चिंता करनेवाला व पलायनवादी है और आर्थिक मामलों को लेकर भारत की कोई सोच ही नहीं है। इसी अवधारणा की छाया में भारत ने स्वतंत्रता के उपरांत अपने विकास के लिए पश्चिमी वैचारिक अधिष्ठान पर आधारित सामाजिक, आर्थिक संरचना के निर्माण का प्रयोग किया। लेकिन इससे समस्याएँ सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही हैं। यही नहीं, अनेक प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद आज विश्व के अनेक विचारक पश्चिमी देशों की प्रगति की दृष्टि एवं दिशा से संतुष्ट नहीं हैं। आज पूरा विश्व एक वैकल्पिक विकास मॉडल चाहता है। प्रख्यात अर्थशास्त्रा् डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने अपनी पुस्तक ‘हिंदू अर्थचिंतन : दृष्टि एवं दिशा’ में भारतीय अर्थचिंतन की सुदीर्घ एवं पुष्ट चिंतन परंपरा का विशद् वर्णन करते हुए पश्चिमी अर्थचिंतन की उन खामियों का भी सांगोपांग विश्लेषण किया है, जिसके कारण पूरा विश्व आज आर्थिक-सामाजिक संकट के कगार पर खड़ा है। इस वैश्विक संकट से उबरने के लिए उन्होंने भारतीय अर्थचिंतन पर आधारित एक ऐसा वैकल्पिक मार्ग भी सुझाया है, जो सर्वमंगलकारी है।अनुक्रमपुरोवाक् — 5भूमिका — 91. उदीयमान भारत की वैश्विक भूमिका — 132. भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में शाश्वत जीवन-मूल्य — 433. पर्यावरण प्रेमी हिंदू चिंतन एवं व्यवहार — 484. स्त्री का सामाजिक सहभाग और विकास में भूमिका — 605. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस 2015 — 766. श्रीरामजन्मभूमि समस्या तथा समाधान — 807. युवाओं के प्रेरणा-पुंज स्वामी विवेकानंद — 968. सुदर्शनजी—एक बहुमुखी प्रतिभासंपन्न व्यक्तित्व — 1049. सरल, सहज किंतु विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे रज्जू भैया — 11010. विज्ञान एवं अध्यात्म — 11511. राग से विराग की ओर — 12312. जैविक खेती स्वास्थ्य एवं रोजगार का आधार — 12913. भारतीयता हो शिक्षा नीति का आधार — 13314. जन्मदिन का अर्थशास्त्र — 138

भक्ति साहित्य - Bharatiya Sanskritik Moolya

Bharatiya Sanskritik Moolya - by - Prabhat Prakashan

Bharatiya Sanskritik Moolya - भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है। समृद्ध कला, कौशल और तकनीक के बल पर विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में भारत की भागीदारी 25-30 प्रतिशत तक थी। लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई शताब्दियों तक इसे लगातार लूटे जाने और विदेशी शासन के कारण भारत का वैभव बीते दिनों की बात बनकर रह गया। उत्पीड़ित और असहाय जन-समुदाय ने इस आपदा से मुक्ति के लिए भगवान् की शरण ली। दो सौ वर्ष के अंग्रेजी राज में पश्चिम का बुद्धिजीवी वर्ग यह प्रचारित करने लगा कि भारतीय समाज केवल परलोक की चिंता करनेवाला व पलायनवादी है और आर्थिक मामलों को लेकर भारत की कोई सोच ही नहीं है। इसी अवधारणा की छाया में भारत ने स्वतंत्रता के उपरांत अपने विकास के लिए पश्चिमी वैचारिक अधिष्ठान पर आधारित सामाजिक, आर्थिक संरचना के निर्माण का प्रयोग किया। लेकिन इससे समस्याएँ सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही हैं। यही नहीं, अनेक प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद आज विश्व के अनेक विचारक पश्चिमी देशों की प्रगति की दृष्टि एवं दिशा से संतुष्ट नहीं हैं। आज पूरा विश्व एक वैकल्पिक विकास मॉडल चाहता है। प्रख्यात अर्थशास्त्रा् डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP1888
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1888
  • ISBN: 9789352664870
  • ISBN: 9789352664870
  • Total Pages: 144
  • Edition: Edition First
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00