प्रश्नोत्तरी शृंखला - 1000 Khagol Vigyan Prashnottari
सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रह. नक्षत्र आदि हमेशा से हमारे लिए कौतूहल का केंद्र रहे हैं ब्रह्मांड के रहस्य प्राचीनकाल से गए वेज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं । कॉपरनिकस, टोलेमी, आर्यभट्ट, टाइको ब्राहे, गैलीलियो आदि आरंभिक दौर के ऐसे वैज्ञानिक हैं जिनकी ग्लैंगाहें इम खगोल को समझने के लिए आकाश पर लगी रहती थीं । रात्रि में जब हम आकाश की ओर देखते हैं तो प्राय : अनेक छोटे -छोटे पिंड पृथ्वी की ओर गिरते हुए दृष्टिगोचर होते हैं और ऐसा प्रतीत होता है मानो तारों की वर्षा हो रही है । मगर यह खूबसूरत दृश्य तारों की वर्षा का नहीं बल्कि उल्कापिंडों की वर्षा का होता है । जब चंद्रमा के धरातल पर मानव के कदम पड़े तो उसपर घर बनाने के सपने का जन्म हुआ, जिसको साकार करने के लिए कोशिशें जारी हैं । वैज्ञानिकों ने ऐसी अंतरिक्ष बस्तियों की कल्पना की है जिनमें खेत, मकान, फैक्टरी, अस्पताल, दफ्तर और मनोरंजन केंद्र होंगे- और यहाँ तक कि कृत्रिम जंगल और जलप्रपात भी । खगोल व अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित इसी प्रकार की रोचक और ज्ञानवर्द्धक जानकारियों को पाठकों तक पहुँचाना इस पुस्तक का उद्देश्य है ।
प्रश्नोत्तरी शृंखला - 1000 Khagol Vigyan Prashnottari
1000 Khagol Vigyan Prashnottari - by - Prabhat Prakashan
1000 Khagol Vigyan Prashnottari - सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रह.
- Stock: 10
- Model: PP1834
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1834
- ISBN: 9788177213195
- ISBN: 9788177213195
- Total Pages: 208
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2020
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00