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जीवनी

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साईं सबके भीतर विराजमान हैं। साईं का अपने भक्तों से ऐसा अटूट नाता है, जो जन्म-जन्मांतर तक बना रहता है। वे माता, पिता, सखा, गुरु व अभिभावक के रूप में हर क्षण अपने भक्तों के साथ हैं। साईं की लीला न्यारी है। यदि उन्हें अपने हृदय में विराजमान करना हो तो अपने अंत:करण को लोभ, मोह, माया, क्रोध आदि विकारों ..
₹ 250.00
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मुगल शासनकाल में समर्थ गुरु रामदास मुगलों के अत्याचार, अनाचार और अराजकता से आहत थे। जब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म..
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फिर वे तीसरा हमला बोल देते हैं। अब तक पलटन के करीब-करीब आधे जवान मारे जा चुके हैं और गोला-बारूद भी खत्म होने के कगार पर आ गया है। अपनी चोट के बावजूद जोगिंदर सिंह खुद हाथ में लाइट मशीनगन उठाकर दुश्मनों पर गोलियाँ चलाना शुरू कर देते हैं और जितनों को मार गिरा सकते हैं, मार गिराते हैं। जल्द ही सारा गोला..
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राज कपूर भारतीय सिनेमा के एक दिग्गज अभिनेता थे। वे एक असाधारण शोमैन, एक प्रेमी, एक आदर्शवादी, एक संत और एक सुधारक भी थे। बेहतरीन निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, एडिटर, गीतकार और कहानीकार के रूप में, इस क्षेत्र पर उनका प्रभुत्व ऐसा था कि उन्होंने कुछ ऐसी फिल्में बनाईं, जिन्हें दुनिया में कहीं भी बनी फिल..
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दुनिया भर के दार्शनिकों में सुकरात का विशिष्‍ट स्थान है। उनमें सोचने-समझने की क्षमता थी और वह सत्य एवं न्याय की खोज के प्रति दृढ़-संकल्प थे। वह मानते थे कि एक बेहतर विश्‍व की कल्पना तभी साकार हो सकती है, जब लोग समझदार एवं बुद्धिमान हों। हमें किसी दूसरे के विचारों को यूँ ही स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए..
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कंप्यूटर आज हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं, जिसका श्रेय स्टीव जॉब्स को जाता है। सुरुचि और प्रतिभा के बल पर स्टीव जॉब्स ने अपने बनाए उपकरणों को दुनिया भर में पहचान दिलाई। जिस समय उन्होंने कंप्यूटर जगत् में कदम रखा, ढेरों कंपनियाँ अपना कारोबार फैला चुकी थीं। स्टीव ने उनके कमजोर पक्षों ..
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स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। बचपन से ही सुभाष पढ़ाई में बड़े कुशाग्र बुद्धि के थे। इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटने पर सुभाष कलकत्ता के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काम करना चाहते थे। उन दिनों ग..
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साहस, शौर्य, नेतृत्व, कर्मठता, वीरता, निर्भयता-किसी एक व्यक्ति में इन सबका समुच्चय होना कठिन होता है, लगभग दुर्लभ। परंतु भारत में शौर्य के प्रतीक हैं हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल। वह भारतीय पुलिस सेवा के सबसे सम्मानित अधिकारियों में से एक हैं। 'परम वीर चक्र' के बाद दूसरा सर्वोच्च ..
₹ 400.00
Ex Tax:₹ 400.00
साहस, शौर्य, नेतृत्व, कर्मठता, वीरता, निर्भयता-किसी एक व्यक्ति में इन सबका समुच्चय होना कठिन होता है, लगभग दुर्लभ। परंतु भारत में शौर्य के प्रतीक हैं हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल। वह भारतीय पुलिस सेवा के सबसे सम्मानित अधिकारियों में से एक हैं। 'परम वीर चक्र' के बाद दूसरा सर्वोच्च ..
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भारतीय पत्रकारिता का इतिहास राष्‍ट्रीयता के भाव का संपोषक और स्वातंत्र्य-संघर्ष में संलग्नता के लिए उद्बोधक रहा है। स्वातंत्र्य-चेतना का जागरण अधिकतर पत्रकारों का ही अभियान था। स्वतंत्रता-प्राप्‍ति के लिए जब भी जहाँ-जहाँ आंदोलन हुए, उस संघर्ष में पत्रकारिता ही मर मिटने का केसरिया बाना पहनकर संग्राम ..
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आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती भारत के प्रख्यात समाज सुधारक, चिंतक और देशभक्त थे। वे बचपन में ‘मूलशंकर’ नाम से जाने जाते थे। महर्षि ने सभी धर्मों में व्याप्त बुराइयों का कड़े शब्दों में खंडन किया और अपने महान् ग्रंथ ‘सत्यार्थप्रकाश’ में उनका विश्लेषण किया। बचपन की एक घटना ने उन्हें उद्वे..
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स्वामी विवेकानंद के बारे में उपलब्ध अद्भुत कार्यों के बीच इस पुस्तक का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसमें उन विषयों और पहलुओं को दरशाया गया है, जिन पर समीक्षकों ने कभी ध्यान नहीं दिया।लेखिका ने विवेकानंद के महामनस्क व्यक्तित्व के छिपे हुए कई पहलुओं—वक्ता, चिंतक, संरक्षणवादी और देशभक्त संन्यासी को उजा..
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