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जीवनी - Nari Kalakar

जीवनी - Nari Kalakar
सभ्यता हमारी भौतिक जरूरत है तो संस्कृति आध्यात्मिक। संस्कृति में शिक्षा, साहित्य, कलाएँ आदि सभी शामिल हैं। कला का काम मात्र मनोरंजन करना नहीं, कलाओं का मूल उद्देश्य मन को स्वस्थ दिशा में मोड़ना या उसका परिष्कार करना होता है। कलाएँ ही सत्यं, शिवं, सुंदरम् के संपर्क में लाकर मानव-मन को संस्कारित करती हैं और मानव की आध्यात्मिक भूख को तृप्त करती हैं। परंतु आज की बाजार-व्यवस्था प्रधान संस्कृति ने कलाओं को धन अर्जित करनेवाला उद्योग बना दिया है। नारी और कला एक-दूसरे की पर्यायवाची हैं। स्पष्ट कहें तो नारी सृष्टि की सबसे खूबसूरत कलाकृति है। अत: ललित व रूपंकर कलाओं से उसका निकट संबंध होना स्वाभाविक है। आदि पाषाण युग से लकर आज तक इतिहास का कोई कालखंड ऐसा नहीं है, जब नारी ने अपनी कलाप्रियता एवं सृजन-कौशल का परिचय न दिया हो। चित्रकारी, गायन, वादन तथा नृत्य जैसे गुण उसमें स्वभावत: पाए जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य आधुनिक काल की प्रमुख नारी-साधिकाओं से नई पीढ़ी का परिचय कराना तथा कलाओं के प्रति रुचि जाग्रत् करने के साथ-साथ उसमें सीखने की ललक पैदा करना है। आशा है, सुधी पाठक-पाठिकाएँ एवं कलाप्रेमी जन अपने-अपने समय की श्रेष्ठ कला-साधिकाओं के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर अपनी कला-साधना को समर्पित होकर उनमें और भी निखार लाएँगे।विषय-सूचीखंड : १—सुर (गायिकाएँ/लोक गायिकाएँ)१. गर्वीली गायिका : गौहर जान — Pgs. १३२. छप्पन छुरी : जानकीबाई — Pgs. १६३. पूरब-ठुमरी की कलाकार : रसूलनबाई — Pgs. २०४. असगरी बेगम : ध्रुपद-धमार की विशिष्ट गायिका — Pgs. २३५. पुरानी पीढ़ी की प्रसिद्ध गायिका : बड़ी मोतीबाई — Pgs. २६६. कठोर तपश्चर्या की मिसाल : केसरबाई केरकर — Pgs. २८७. किराना घराने की कोकिला : हीराबाई बड़ोदकर — Pgs. ३२८. जयपुर घराने की प्रसिद्ध गायिका : मोगूबाई कुर्डीकर — Pgs. ३६९. गजल सम्राज्ञी : बेगम अख्तर — Pgs. ३९१०. आधुनिक मीरा : सुब्बलक्ष्मी — Pgs. ४३११. कर्नाटक संगीत में शास्त्रीय और लोक-शैलियों का समन्वयदामल कृष्णास्वामी पटम्माल — Pgs. ४६१२. कर्नाटक संगीत की चर्चित प्रतिभा : एम.एल. बसंतकुमारी — Pgs. ४९१३. हिंदुस्तानी संगीत की एक भारी आवाज : गंगूबाई हंगल — Pgs. ५२१४. सुर-सिद्धि : सिद्धेश्वरी देवी — Pgs. ५४१५. ध्रुपद-धमार की विदुषी गायिका : सुमति मुटाटकर — Pgs. ५८१६. उत्तर भारत की कोकिला : गिरिजा देवी — Pgs. ६२१७. सुकंठी-गर्वीली गायिका : किशोरी अमोनकर — Pgs. ६६१८. संगीत-विदुषी : प्रभा अत्रे — Pgs. ७०१९. भारतीय ‘ओपेरा’ की अग्रणी कलाकार : शन्नो खुराना — Pgs. ७४२०. संगीत की अनंगरंग-परंपरा को आगे बढ़ानेवाली : सुलोचना बृहस्पति — Pgs. ७८२१. कला और कलाकार-कल्याण को समर्पित : नैना देवी — Pgs. ८१२२. दिलकश आवाज में ठुमरी का जादू जगानेवाली : शोभा गुर्टू — Pgs. ८६२३. मांड-गायिका : अल्लाह जिलाईबाई — Pgs. ८९२४. मलिका-ए-कव्वाली : शकीला बानो भोपाली — Pgs. ९३२५. लोकनाट्य नौटंकी की लोकप्रिय नायिका : गुलाबबाई — Pgs. ९८२६. बिहार-कोकिला : विंध्यवासिनी देवी — Pgs. १०२२७. छत्तीसगढ़-अंचल से उठकर विश्व-आकाश परउड़नेवाली : तीजनबाई — Pgs. १०६खंड : २—नृत्यांगनाएँ२८. भरतनाट्यम की युग-नेत्री : टी. बाला सरस्वती — Pgs. १११२९. कला-क्षेत्र की संस्थापिका : रुक्मिणि अरुंडेल — Pgs. ११५३०. ‘सृजन संगीत’ नृत्य की प्रणेता : मृणालिनी साराभाई — Pgs. ११९३१. जिन्हें मृत्युलोक की अप्सरा कहा गया : इंद्राणी रहमान — Pgs. १२३३२. कत्थक में एक अग्रणी नाम : दमयंती जोशी — Pgs. १२८३३. कथकली में अकेला नाम : शांता राव — Pgs. १३१३४. बेजोड़ कत्थक नर्तकी : सितारा देवी — Pgs. १३४३५. देवदासी नृत्य की शास्त्रीय गरिमा : संयुक्ता पाणिग्रही  — Pgs. १३८३६. मणिपुरी नृत्य की अग्रणी कलाकार : झावेरी बहनें — Pgs. १४३३७. एक अद्भुत नृत्य-प्रतिभा : कमला लक्ष्मण — Pgs. १४८३८. नृत्य-विदुषी : ऋता देवी — Pgs. १५१३९. जिनके नृत्य में गजब की फुरती है : यामिनी कृष्णमूर्ति — Pgs. १५४४०. सोन चिरैया-सा एक नाम : सोनल मान सिंह — Pgs. १६०४१. कत्थक की ऊँचाइयों का एक नाम : उमा शर्मा — Pgs. १६५४२. साकार स्वप्न-सी : स्वप्न सुंदरी — Pgs. १६९४३. मोहिनी अट्टम का पुनर्संस्कार करनेवाली : कनक रेले — Pgs. १७४४४. गणेश नाट्यालय की संस्थापक : सरोजा वैद्यनाथन — Pgs. १७७४५. कुचिपुडि नृत्य-प्रतिभा : राधा रेड्डी — Pgs. १८०४६. छोटी उम्र में ओडिसी की बड़ी उपलब्धियाँ : माधवी मुद्गल — Pgs. १८४४७. कत्थक में ओज की प्रस्तुति : शोभना नारायण — Pgs. १८८खंड : ३—वादक४८. संगीत-सरस्वती, सरोदपाणि : शरन रानी — Pgs. १९५४९. सितार व सुरबहारवादिका : अन्नपूर्णा देवी — Pgs. १९९५०. वायलिन-वादन में एक अग्रणी नाम : एन. राजम् — Pgs. २०२५१. वरिष्ठ सितारवादिका : कल्याणी राय — Pgs. २०६५२. तबला-वादन की विशिष्ट प्रतिभा : आबान मिस्त्री — Pgs. २०८५३. भारत की पहली शहनाईवादिका : बागेश्वरी देवी — Pgs. २१०५४. हिंदी फिल्मों की अमर गायिका : लता मंगेशकर — Pgs. २१२

जीवनी - Nari Kalakar

Nari Kalakar - by - Prabhat Prakashan

Nari Kalakar - सभ्यता हमारी भौतिक जरूरत है तो संस्कृति आध्यात्मिक। संस्कृति में शिक्षा, साहित्य, कलाएँ आदि सभी शामिल हैं। कला का काम मात्र मनोरंजन करना नहीं, कलाओं का मूल उद्देश्य मन को स्वस्थ दिशा में मोड़ना या उसका परिष्कार करना होता है। कलाएँ ही सत्यं, शिवं, सुंदरम् के संपर्क में लाकर मानव-मन को संस्कारित करती हैं और मानव की आध्यात्मिक भूख को तृप्त करती हैं। परंतु आज की बाजार-व्यवस्था प्रधान संस्कृति ने कलाओं को धन अर्जित करनेवाला उद्योग बना दिया है। नारी और कला एक-दूसरे की पर्यायवाची हैं। स्पष्ट कहें तो नारी सृष्टि की सबसे खूबसूरत कलाकृति है। अत: ललित व रूपंकर कलाओं से उसका निकट संबंध होना स्वाभाविक है। आदि पाषाण युग से लकर आज तक इतिहास का कोई कालखंड ऐसा नहीं है, जब नारी ने अपनी कलाप्रियता एवं सृजन-कौशल का परिचय न दिया हो। चित्रकारी, गायन, वादन तथा नृत्य जैसे गुण उसमें स्वभावत: पाए जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य आधुनिक काल की प्रमुख नारी-साधिकाओं से नई पीढ़ी का परिचय कराना तथा कलाओं के प्रति रुचि जाग्रत् करने के साथ-साथ उसमें सीखने की ललक पैदा करना है। आशा है, सुधी पाठक-पाठिकाएँ एवं कलाप्रेमी जन अपने-अपने समय की श्रेष्ठ कला-साधिकाओं के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर अपनी कला-साधना को समर्पित होकर उनमें और भी निखार लाएँगे।विषय-सूचीखंड : १—सुर (गायिकाएँ/लोक गायिकाएँ)१.

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  • Stock: 10
  • Model: PP1052
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1052
  • ISBN: 9788190734110
  • ISBN: 9788190734110
  • Total Pages: 216
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00