Menu
Your Cart

जीवनी - Hockey Ke Jadugar Major Dhyanchand

जीवनी - Hockey Ke Jadugar Major Dhyanchand
हॉकी सम्राट्’ और ‘हॉकी के जादूगर’ जैसे विशेष्ाणों से विभूष्ात मेजर ध्यानचंद का नाम किसी के लिए भी अपरिचित नहीं है। बचपन में उनमें एक खिलाड़ी के कोई लक्षण नहीं थे, इसलिए कह सकते हैं कि उनमें के खेल की प्रतिभा जन्म जात नहीं थी।उन्होंने अपनी सतत साधना, लगन, अभ्यास, संकल्प व संघर्ष के माध्यम से इस खेल में दक्षता अर्जित की और विश्व के सर्वोत्तम हॉकी खिलाडि़यों की सूची में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा लिया।ध्यानचंद हॉकी के खेल में एक सेंटर फॉरवर्ड के रूप में जाने जाते थे और उनकी इस अद्भुत खेल प्रतिभा ने भारत को एक अलग ही मुकाम पर पहुँचा दिया था। वे तीनों बार उस भारतीय ओलंपिक टीम के सदस्य थे, जो अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर लाई। विदेशी जब उन्हें खेलते देखते तो वाह-वाह कर उठते। वे लगभग 25 वर्षों तक विश्व हॉकी के शिखर पर छाए रहे।मेजर ध्यानचंद की प्रेरक जीवनगाथा, जो हर खेल-प्रेमी और खिलाड़ी को समान रूप से प्रेरित करेगी और उनमें खेलों के प्रति जुनून पैदा करेगी।अनुक्रमएक परिचय — Pgs. 51. ध्यानसिंह से मेजर ध्यानचंद — Pgs. 112. पहली विदेश-यात्रा — Pgs. 153. उज्ज्वल भविष्य की ओर — Pgs. 214. एम्सटर्डम ओलंपिक : एक नया इतिहास — Pgs. 265. 1928—स्वर्णिम कीर्ति — Pgs. 316. 1932—लॉस एंजेल्स — Pgs. 427. ओलंपिक टीम का गठन — Pgs. 468. रोचक समुद्री यात्रा — Pgs. 509. अलोहा-अलोहा — Pgs. 5410. सन् 1932 की ओलंपिक विजय — Pgs. 5611. मेरियन क्रिकेट मैदान — Pgs. 6112. ध्यानचंदजी की दुविधा — Pgs. 6413. ओलंपिक टीम की भारत वापसी — Pgs. 6814. झाँसी की सुखद स्मृतियाँ — Pgs. 7015. हॉकी टीम की कप्तानी — Pgs. 7416. जीत नहीं थी आसान — Pgs. 7817. न्यूजीलैंड की बराबरी — Pgs. 8218. बर्लिन ओलंपिक की कप्तानी — Pgs. 8619. टीम का चयन — Pgs. 8920. रनपुरा से यात्रा का आरंभ — Pgs. 9321. बर्लिन ओलंपिक 1936 — Pgs. 9622. अभ्यास मैच ने दिया सबक — Pgs. 9923. बर्लिन ओलंपिक का उद्घाटन — Pgs. 10224. तिरंगे ने दी प्रेरणा — Pgs. 10525. भारत व जर्मनी का निर्णायक मैच — Pgs. 10826. बर्लिन ओलंपिक समापन समारोह — Pgs. 11327. बर्लिन ओलंपिक से भारत वापसी — Pgs. 11628. अफ्रीकी दौरा — Pgs. 11929. जीवन के अंतिम दिन — Pgs. 12130. सम्मान एवं पुरस्कार — Pgs. 124

जीवनी - Hockey Ke Jadugar Major Dhyanchand

Hockey Ke Jadugar Major Dhyanchand - by - Prabhat Prakashan

Hockey Ke Jadugar Major Dhyanchand - हॉकी सम्राट्’ और ‘हॉकी के जादूगर’ जैसे विशेष्ाणों से विभूष्ात मेजर ध्यानचंद का नाम किसी के लिए भी अपरिचित नहीं है। बचपन में उनमें एक खिलाड़ी के कोई लक्षण नहीं थे, इसलिए कह सकते हैं कि उनमें के खेल की प्रतिभा जन्म जात नहीं थी।उन्होंने अपनी सतत साधना, लगन, अभ्यास, संकल्प व संघर्ष के माध्यम से इस खेल में दक्षता अर्जित की और विश्व के सर्वोत्तम हॉकी खिलाडि़यों की सूची में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा लिया।ध्यानचंद हॉकी के खेल में एक सेंटर फॉरवर्ड के रूप में जाने जाते थे और उनकी इस अद्भुत खेल प्रतिभा ने भारत को एक अलग ही मुकाम पर पहुँचा दिया था। वे तीनों बार उस भारतीय ओलंपिक टीम के सदस्य थे, जो अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर लाई। विदेशी जब उन्हें खेलते देखते तो वाह-वाह कर उठते। वे लगभग 25 वर्षों तक विश्व हॉकी के शिखर पर छाए रहे।मेजर ध्यानचंद की प्रेरक जीवनगाथा, जो हर खेल-प्रेमी और खिलाड़ी को समान रूप से प्रेरित करेगी और उनमें खेलों के प्रति जुनून पैदा करेगी।अनुक्रमएक परिचय — Pgs.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP1222
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1222
  • ISBN: 9789384343279
  • ISBN: 9789384343279
  • Total Pages: 128
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00