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जीवनी - Amar Krantikari Khudiram Bose

जीवनी - Amar Krantikari Khudiram Bose
जब भी क्रांतिकारियों की बात होती है तो बरबस ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों के नाम जहन में आ जाते हैं, लेकिन उस क्रांतिकारी का नाम बहुत ही कम बार जुबान पर आता है, जिसने किशोरावस्था में ही अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। भारत माँ के उस महान् सपूत का नाम है—‘खुदीराम बोस’। खुदीराम बोस स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए फाँसी के फंदे को चूमनेवाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे। बाल्यावस्था में ही जब उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया तो धरती माँ को ही अपना सर्वस्व मान लिया, लेकिन माँ (धरती) को अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त देख उनका हृदय सुलग उठा। उन्होंने मन-ही-मन ठान लिया कि वे अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्त कराकर ही दम लेंगे। जिस घटना को खुदीराम ने अंजाम दिया था, उनकी विरासत को आगे चलकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ाया। यही कारण था कि ब्रिटिश शासन का सिंहासन डाँवाँडोल हो गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। हुतात्मा खुदीराम बोस के जीवन से जुड़े अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों को सरल, सरस एवं सहज भाषा-शैली में प्रस्तुत कर उनकी चिरस्मृति को नमन करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।अनुक्रमदो शद—71. जन्म एवं बाल्यावस्था—112. प्रारंभिक शिक्षा—213. घर से दूर—254. बाबू सत्येंद्रनाथ के संपर्क में—335. क्रांतिकारी खुदीराम बोस—396. प्रचारक के रूप में—467. वीरता की प्रतिमूर्ति—518. समिति के लिए जोखिम—589. प्रफुल्ल चाकी के साथ—6610. बंगाल और स्वदेशी आंदोलन—7311. किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास—7612. प्रफुल्ल चाकी की शहादत—8113. खुदीराम बोस की गिरतारी—8514. मुकदमे की सुनवाई—9015. देश-द्रोह की सजा—9616. वुडमैन को दिया गया बयान—9917. ब्रिथोउड को दिया गया बयान—10418. बयानों का अवलोकन—11019. शहीद खुदीराम बोस—11120. प्रतिक्रियाओं के आईने में—11621. अभियोग एवं निर्णय—12422. खुदीराम बोस का व्यतित्व—12923. खुदीराम का विरासतनामा—133

जीवनी - Amar Krantikari Khudiram Bose

Amar Krantikari Khudiram Bose - by - Prabhat Prakashan

Amar Krantikari Khudiram Bose - जब भी क्रांतिकारियों की बात होती है तो बरबस ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों के नाम जहन में आ जाते हैं, लेकिन उस क्रांतिकारी का नाम बहुत ही कम बार जुबान पर आता है, जिसने किशोरावस्था में ही अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। भारत माँ के उस महान् सपूत का नाम है—‘खुदीराम बोस’। खुदीराम बोस स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए फाँसी के फंदे को चूमनेवाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे। बाल्यावस्था में ही जब उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया तो धरती माँ को ही अपना सर्वस्व मान लिया, लेकिन माँ (धरती) को अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त देख उनका हृदय सुलग उठा। उन्होंने मन-ही-मन ठान लिया कि वे अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्त कराकर ही दम लेंगे। जिस घटना को खुदीराम ने अंजाम दिया था, उनकी विरासत को आगे चलकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ाया। यही कारण था कि ब्रिटिश शासन का सिंहासन डाँवाँडोल हो गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। हुतात्मा खुदीराम बोस के जीवन से जुड़े अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों को सरल, सरस एवं सहज भाषा-शैली में प्रस्तुत कर उनकी चिरस्मृति को नमन करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।अनुक्रमदो शद—71.

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  • Stock: 10
  • Model: PP1295
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1295
  • ISBN: 9789383110995
  • ISBN: 9789383110995
  • Total Pages: 144
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00