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आत्मकथा - Dr. Kalam Guru Gyan

आत्मकथा - Dr. Kalam Guru Gyan
डॉ. कलाम को देश के युवाओं में अगाध विश्वास था। वे देश के कल्याण को लेकर इस कदर चिंतित रहते थे कि अपने जीवन के आखिरी दो घंटे उन्होंने आतंक और संसद् की काररवाई ठप होने के खतरों पर चर्चा करते हुए बिताए थे। अपने आखिरी क्षणों में भी उनका भरोसा कायम था कि युवा, खास तौर पर छात्र तमाम पीड़ादायी मुद्दों के समाधान लेकर देश के लिए आगे आएँगे। नई पीढ़ी के प्रज्वलित मस्तिष्क के प्रति उनका विश्वास हमेशा बना रहा, जिसे वे धरती पर सबसे बहुमूल्य उपहार मानते आए थे।  मुझे इस महान् आत्मा के साथ बेहद करीब से काम करने का मौका मिला। लोगों के लिए भले वे मिसाइलमैन रहे हों, मेरे लिए वो हमेशा ‘स्माइलमैन’ ही रहेंगे। दुनिया ने उन्हें अंतरिक्ष विज्ञानी के तौर पर देखा, जिसने उपग्रहों को धरती के चारों ओर घूमते हुए देखा। मैंने उन्हें एक महान् आत्मा के तौर पर देखा, जिसने लोगों को सपने देखने का उपहार दिया—सपने और उनको सच करने का साहस प्रदान किया। दुनिया ने मात्र उनके कामों को देखा, जबकि मैं खुशकिस्मत रहा कि मुझे उनके भावनात्मक हिस्से का भी गवाह बनने का मौका मिला। वे एक वैज्ञानिक, संत, लेखक, शिक्षक, कवि और दार्शनिक थे, सब मिलाकर वे स्नेह और बुद्धिमत्ता का एक पुंज थे। आइए, अब मैं आपको एक हैरतअंगेज सफर पर ले चलता हूँ—एक ऐसा सफर, जिस पर चलते हुए मैंने डॉ. कलाम से काफी कुछ सीखा। अनुक्रमपरिचय—5आभार—111. पहली छाप —152. पदकों के साथ बढ़ती जाती है जिम्मेदारी —193. आलोचना के साथ भारी कर्ज भी आता है—264. कठोर परिश्रम को सबसे ज्यादा सम्मान का हक —295. मुझे किसलिए याद रखा जाना चाहिए? —326. गंभीर हालात आपकी छिपी प्रतिभा को उभारते हैं—357. चमकदार विचारोंवाला बुजुर्ग जनरल—408. समाधान के बारे में सोचो, भले ही वह बेहद ठोस हो—459. सबसे बड़ा आशीर्वाद—4810. अप्रैल लूमर —5211. जीवनदायी है जल—5512. वहाँ बीच में कोई साथी है—6113. अपनी माँ के चेहरे पर मुसकान बिखेरो—6614. विज्ञान और अध्यात्म—7215. अगर आप बीते हुए कल से कुछ लेंगे तोभविष्य में कर्ज तले दब जाएँगे—8116. धरातल से उठती आवाजों पर ध्यान दो —8617. राष्ट्रपति चुनाव, 2012—8918. शिक्षा से कहीं परे है बुद्धिमा—10219. आजादी की चाय—11120. आपने शादी यों नहीं की?—11721. अगर आप भय को नियंत्रित नहीं कर सकते,तो उस पर ध्यान न दीजिए—11922. मेरा एकमात्र अफसोस —12523. शतादी समारोह—12824. प्रदान करने में मैंने जीवन का मंत्र सीखा—13125. मतभेदों का सम्मान और जश्न—13526. पिचर परफेट!—14027. खुद पर हो एतबार, तो जोखिम जरूर लें—14428. ये मेरे लोग हैं—15029. कुछ देने के लिए जिओ—15630. स्नेह और सहानुभूति के रंगों में समाहित है अच्छाई—15931. मिसाइलमैन से स्माइलमैन तक—16432. यथोचित विरासत—16733. महानता का पथ है विनम्रता—17334. प्रेम का योद्धा —17635. सेवा परमो धर्म:—17936. मैं उन्हें फिर से सुनना चाहता हूँ—18337. बाह्य शिक्षक—18738. अंतिम आठ घंटे : एक शिक्षक सदा के लिए—191उपसंहार—199

आत्मकथा - Dr. Kalam Guru Gyan

Dr. Kalam Guru Gyan - by - Prabhat Prakashan

Dr. Kalam Guru Gyan - डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP563
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP563
  • ISBN: 9789352660834
  • ISBN: 9789352660834
  • Total Pages: 200
  • Edition: Edition Ist
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2020
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00