Shayari - Suraj Chand Sitare, Naksh-A-Paa Hain Saare
अली काज़िम उर्दू के जवाँ-साल और जवाँ-फ़िक्र शायर हैं। शायरी उन्हें विरासत में मिली है। मशहूर शायर और उस्ताद-ए-फ़न सैयद हसन काज़िम उरूज़ की तीसरी नस्ल में हैं। उनके वालिद महमूद काज़िम साहब ख़ुद एक अच्छे शायर और माहिर उरूज़ हैं। अली काज़िम की परवरिश एक ऐसे माहौल में हुई, जहाँ दिन-रात शेर-ओ-अदब की चर्चा थी। उन्हें अदब का बहुत गहराई से मुतालअ करने का मौक़ा तो नहीं मिला, लेकिन घर की गुफ़्तगू और शोअरा की सोहबतों में अदब और शायरी का जो इल्म और शौक़ मिला, वो कम लोगों को नसीब होता है।शायरी की दुनिया में अली काज़िम की ग़ज़लें तवातुर के साथ उर्दू अख़बारात और रेसायल में शाये होती रही हैं, जिससे उनकी ज़ूदगोई का अन्दाज़ा होता है। अली काज़िम की ग़ज़लों में एक ताज़गी और नयापन है, जिसे पढ़कर मुसर्रत का एहसास होता है :“वो अकेला रात पर भारी पड़ा कल भी ‘अली’शम्अ तारे चाँद सब रौशन रहे बेकार में।”भारी पड़ने और बेकार में रौशन रहने में जो नजाकत, एहसास और ज़बान का लुत्फ़ है, वो बहुत ख़ूबसूरत है। इस तरह आम तौर पर उनके यहाँ इज़हार-ओ-बयान में कोई तसन्ना नहीं है। वो बड़ी सादगी और बेतक़ल्लुफ़ी से अपने जज़्बात और महसूसात को नज़्म कर देते हैं :“रुसवाई हर क़दम पे मेरे साथ साथ थीआवाज़ दे के तुम को बुला भी नहीं सका।”(प्राक्कथन से)
Shayari - Suraj Chand Sitare, Naksh-A-Paa Hain Saare
Suraj Chand Sitare, Naksh-A-Paa Hain Saare - by - Rajkamal Prakashan
Suraj Chand Sitare, Naksh-A-Paa Hain Saare -
- Stock: 2-3 Days
- Model: RKP622
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP622
- ISBN: 0
- Total Pages: 215p
- Edition: 2011, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paper Back
- Year: 2011
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Ex Tax: ₹ 0.00