Shayari - Nazir Banarasi Ki Shayari
यह ‘कविता की दुनिया में उर्दूमुखी हिन्दी और हिन्दीमुखी उर्दू के अकेले कवि के रूप में सबसे अधिक’ जाने-पहचाने और, ‘राष्ट्रीयता और आपसी भाईचारे अर्थात् भारतीयता के प्रतिनिधि कवि-शायर’ नज़ीर बनारसी की प्रतिनिधि रचनाओं का संग्रह है।‘नज़ीर’ की सबसे बड़ी ख़ूबी उनकी भाषा की जन-सम्प्रेषणीयता है। भाषा और ग़ज़ल की विशेषता पर स्वयं नज़ीर का दृष्टिकोण एकदम साफ़ था। उनका कहना था—“शायर होने के नाते ग़ज़ल मेरा मिज़ाज है, ग़ज़ल को मैं दीगर असनाफ़े सुखन (रचना-विधा) के मुक़ाबले में मुश्किल समझता हूँ। मेरा विचार है कि ग़ज़ल में इस बात की सम्पूर्ण योग्यताएँ विद्यमान हैं कि वह सम्पूर्ण विचार और तसव्वुरात को अच्छी तरह और आसानी से पेश कर सके, क्योंकि इसका दामन काफ़ी फैला हुआ है।”ज़ाहिर है कि इस किताब में उनकी उन सभी ग़ज़लों को ले लिया गया है, जिन्हें वे ख़ुद भी अहम मानते थे और उनके चाहनेवाले भी। इसके अलावा वे नज़्में भी यहाँ दे दी गई हैं, जिनसे उनका वैचारिक पक्ष साफ़ होता है।गंगा प्रदूषण, आतंकवाद और फ़िरकापरस्ती आज भी ज्वलन्त समस्याएँ हैं। इन पर उनका नज़रिया ‘गंगा प्रदूषण’, ‘कैसे-कैसे ज़ेहन को फ़िरक़ापरस्ती खा गई’, ‘फ़िरक़ापरस्ती का चैलेंज’ और ‘फ़िरक़ापरस्ती के चैलेंज का जवाब’ में देखा जा सकता है। वाराणसी में बुनकरों की अलग तरह की समस्या है। ‘इस कटौती की मैयत उठाएँगे हम’ तथा ‘कटौती का दसवाँ’ के माध्यम से इस समस्या पर भी जिस तरह से चर्चा की गई है, उससे समाधान भी दिखाई देता और नज़ीर का एक्टीविस्ट चेहरा भी सामने आता है।राष्ट्रीयता और आपसी भाईचारे का सन्देश तो क़दम-क़दम पर मिलता ही है। यही नज़ीर का वास्तविक चेहरा है, यही उनकी चिन्ता भी है और चिन्तन भी।
Shayari - Nazir Banarasi Ki Shayari
Nazir Banarasi Ki Shayari - by - Rajkamal Prakashan
Nazir Banarasi Ki Shayari -
- Stock: 2-3 Days
- Model: RKP1672
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP1672
- ISBN: 0
- Total Pages: 144p
- Edition: 2010, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paper Back
- Year: 2010
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00