Religion - Nanak Vani
नानक वाणी में धार्मिक, लौकिक और लौकिक-धार्मिक काव्य का सहज समन्वय है। इसमें कर्ममार्ग, योगमार्ग, भक्तिमार्ग और ज्ञानमार्ग का विशद निरूपण है। नानक वाणी में शान्त, शृंगार, करुण, वीर, हास्य आदि रसों का अद्भुत परिपाक है। उनका प्रकृति चित्रण अत्यन्त मोहक और आकर्षक है। उनकी भाषा पूर्वी पंजाबी है, परन्तु उसमें ब्रजभाषा और खड़ी बोली का भी पुट है। मुहावरों और कहावतों का प्रचुर प्रयोग है। नानक के अनुसार परमात्मा एक है वह कर्तार है, वह भय से रहित है, बैर से रहित है, मूर्तिमान है, काल से रहित है, योनि के अन्तर्गत नहीं आता। नानक वाणी में जहाँ एक ओर गुरु गाम्भीर्य और ज्ञान-वैराग्य भक्ति का अमृत मन्थन है वहाँ उनकी भाषा में अद्भुत ओज और भक्ति है। उनकी रचना-शैली में काव्य का लालित्य, माधुर्य, विचार सम्पन्नता सब कुछ है। नानक वाणी हृदय और मस्तिष्क को स्पर्श ही नहीं करती प्रत्युत उन्हें अनुप्राणित भी करती है।नानक वाणी में उन्नीस राग प्रयुक्त हुए हैं : राग श्री, माझ, गौरी, आसा, गुजरी, वडहंस, सोरठि, धनासिरी, तिलंग, सूही, बिलावल, रामकली, मारू, दुखारी, भैरउ, बसंत, सागर, मलार तथा प्रभाती। नानक वाणी संगीतमय है, विचारोत्तेजक है। नानक वाणी का यह संस्करण अपनी विशद् सारगर्भित भूमिका के कारण अधिक सुबोध और उपयोगी हो गया है। श्रीगुरु नानक देव की सम्पूर्ण वाणी का यह मूल्यवान संग्रह उनके सभी भक्तों और प्रेमियों के पास अवश्य होना चाहिए।
Religion - Nanak Vani
Nanak Vani - by - Lokbharti Prakashan
Nanak Vani -
- Stock: 10
- Model: RKP3541
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3541
- ISBN: 0
- Total Pages: 846p
- Edition: 2008, Ed. 4th
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2008
₹ 950.00
Ex Tax: ₹ 950.00